किसी को देखकर क्‍यों होता है ‘ कुछ-कुछ ‘

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क्‍या किसी को देखकर आपको भी ‘कुछ-कुछ होता है’? अगर हां, तो जान लीजिए कि इसके लिए आपके भीतर मौजूद ‘लव हॉर्मोन’ जिम्‍मेदार है. यही हॉर्मोन प्‍यार से जुड़ी आपकी भावनाओं को उभारने में मददगार होता है.

जिसे आप चाहते हैं, उसे देखने के बाद ‘लव हॉर्मोन’ केवल आपकी भावनाओं को ही सक्रिय नहीं करता, बल्कि यह पुरानी मांसपेशियों को नए की तरह काम करने में भी सहायता करता है. एक नए शोध के मुताबिक, ऑक्सिटोसिन हॉर्मोन केवल सेक्स ही नहीं, बल्कि मांसपेशियों के स्वास्थ्य, रख-रखाव और मरम्मत से भी जुड़ा है.

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बार्कली के बायोइंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर और मुख्य अनुसंधानकर्ता इरिना कानबॉय ने कहा, ‘हमारा अनुसंधान एक ऐसे अणु का पता लगाना था, जो बिना कैंसर के खतरे के पुरानी मांसपेशियों और अन्य उत्तकों में स्थायी रूप से नई जान फूंक दे.’

कानबॉय और उनके अनुसंधान दल ने पाया कि ऑक्सिटोसिन एक बढ़िया उम्मीदवार है, क्योंकि यह एक व्यापक स्तर का हॉर्मोन है, जो हर अंगों तक पहुंचता है और इसका संबंध किसी भी प्रकार के ट्यूमर या प्रतिरक्षा प्रणाली में हस्तक्षेप से नहीं है.

कानबॉय ने कहा, ‘इसी हॉर्मोन के कारण बिल्ली के बच्चे, पिल्लों और मानव शिशुओं को देखकर आपका दिल पिघल जाता है.’

एक नए अध्ययन में यह सामने आया है कि उम्र बढ़ने के साथ चूहों के रक्त में ऑक्सिटोसिन का स्तर घटता जाता है. मांसपेशियों की मरम्मत में ऑक्सिटोसिन की भूमिका का पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने एक वृद्ध चूहे की घायल मांसपेशियों की त्वचा के नीचे इस हॉर्मोन का इंजेक्शन पहले चार दिन के लिए फिर पांच दिन के लिए दिया गया.

नौ दिनों के इलाज के बाद पाया गया कि वैसे चूहे जिन्हें ऑक्सिटोसिन का इंजेक्शन दिया गया था, उनकी घायल मांसपेशियां उनकी तुलना में ज्यादा स्वस्थ थे, जिन्हें इंजेक्शन नहीं दिया गया था.