फूलों की चादर बिछी है यहां

फूलों की चादर बिछी है यहां

6405_n

फूलों की इस घाटी को देखते ही आपको बचपन में सुनी राजकुमार और परी की वो कहानी ज़रूर याद आएगी जिसमें वो फूलों के बगीचे में छिप-छिप कर मिलते थे। बगीचे के रंग-बिरंगे फूल उनसे बातें करते थे। यकीन मानिए, यहां की खूबसूरती किसी परी लोक से कम नहीं है।

एक देश ऐसा भी है जहां फ्लावर फेस्टिवल मनाया जाता है। इस फेस्टिवल की प्रसिद्धि का आलम यह है कि हर साल देश-विदेश से लाखों की तादाद में पर्यटक इसे देखने के लिए पहुंचते हैं। इस मेले में आपको अपने चारों तरफ रंग-बिरंगे फूल ही फूल नजर आएंगे। ऐसा लगेगा जैसे पूरी घाटी में लाल, गुलाबी और सफेद फूलों की चादर बिछी हुई हो। द फूजी शिबजकुरा  फेस्टिवल जापान में लगता है;

यह मेला फूजी फाइव लेक्स एरिया में लगता है। फूजी जापान की पर्वत श्रृंखला का नाम है। शिबजकुरा का मतलब है बारहमासी फूल का पौधा। फूलों के इन पौधों की लंबाई 1.5 सेंटीमीटर होती है। यह फूल चेरी के फूल जैसा ही होता है।

शिबा का मतलब बाग होता है और जकुरा का मतलब चेरी का खिलना। इस तरह देखा जाए तो इसका मतलब निकलता है बाग में खिली हुई खूबसूरत चेरी। इस फेस्टिवल को देखने के लिए हर साल देश-विदेश से 90 लाख लोग आते हैं।

इस फेस्टिवल में आप 80 हजार से ज़्यादा गुलाबी, लाल और सफेद फूलों की खूबसूरती को निहार सकते हैं।

ये मेला अप्रैल के मध्य में लगता है, लेकिन टूरिस्ट यहां मई में भी भारी तादाद में पहुंचते हैं। मई में टूरिस्टों को गुलाबी फूल के पांच प्रकार देखने को मिलते हैं। फूलों की इस घाटी को पैदल घूमने में लगभग दो घंटे का समय लगता है।

सुबह इस घाटी में बहुत भीड़ होती है। सुबह के मनोरम दृश्य को देखने के लिए भारी तादाद में पर्यटक पहुंचते हैं। फोटोग्राफी का शौक रखने वाले टूरिस्ट फूजू घाटी में दोपहर में भी आ सकते हैं। यह वक्त फोटोग्राफी के लिए उपयुक्त होता है। इस वक्त लाइट भी फोटोग्राफी के अनुकूल रहती है।