राजेश खन्ना के बंगले ‘आशीर्वाद’ में दफन हैं कई राज

राजेश खन्ना के बंगले ‘आशीर्वाद’ में दफन हैं कई राज

rajesh-khanna-bunglow-5583e3d6ca8ea_exlst

rajesh-khanna-bunglow-5-5583e403d866f_exlst

बहुत कम लोग जानते हैं कि मुंबई के कार्टर रोड पर स्थित यह बंगला भूत बंगला के नाम से जाना जाता था। इसका मालिक इसे बेचने की लाख कोशिशें करता लेकिन भूत के नाम के चलते बंगला बिक नहीं पा रहा था।

तब बीते जमाने के सुपरस्टार राजेंद्र कुमार का दिल इस बंगले पर आ गया। राजेंद्र कुमार को कई लोगों ने समझाया कि वे इस बंगले को न खरीदें लेकिन राजेंद्र कुमार ने मात्र साठ हजार रुपए में ये भूत बंगला खरीद लिया।

उन्होंने इसका नाम अपनी बेटी के नाम पर ‘डिंपल’ रखा। इस बंगले में आते ही राजेंद्र कुमार की किस्मत बदल गई और उनकी फिल्में हिट होने लगी। वो रातों रात सुपरस्टार बन गए।

कुछ सालों बाद राजेंद्र कुमार ने दूसरा बंगला खरीदा और उसमें रहने चले गए। तब राजेश खन्ना इंडस्ट्री में स्ट्रगल कर रहे थे। उन्होंने राजेंद्र कुमार को सुपरस्टार बनते देखा और मन ही मन तय किया कि अगर सुपरस्टार बनना है तो इस बंगले में रहना होगा।

उन्होंने राजेंद्र कुमार से बंगला खरीदना चाहा। पहले तो राजेंद्र कुमार राजी नहीं हुए लेकिन लाख मनाने के बाद वो राजी हो गए और उन्होंने साढे तीन लाख में बंगला काका को बेच दिया।

बंगले में घुसते ही काका क‌ी किस्मत भी बदल गई। उनकी फिल्में चल निकली। उन्होंने बंगले का नाम आशीर्वाद रखा। वो रातों रात सुपरस्टार बन गए और उनके बंगले के आस पास हजारों फैन्स की भीड़ जमने लगी।

यहां रात भर जाम चलते थे, महफिलें जमती थी, फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखी जाती और साइनिंग अमाउंट तय होते। कुल मिलाकर आशीर्वाद ने दो दो सुपरस्टारों की रंगीनियों के दौर देखे। बहुत कम लोग जानते हैं कि राजेश खन्ना की बारात इसी बंगले से निकली थी। पूरे शहर को फूलों से सजाया गया था। इसी बंगले में डिंपल कपाड़िया दुल्हन बनकर आई और यहीं पर उनकी बेटियों ट्विंकल और रिंकी ने जन्म लिया।

इसी आशीर्वाद के अहाते में टिंवकल और रिंकी का शानदार बचपन बीता। बाद में जब डिंपल राजेश खन्ना को छोड़कर अलग हुई तो वो अपनी बेटियों को अपने साथ लेकर चली गई।

तब से राजेश खन्ना इस बंगले में अकेले रहने लगे। वो पूरे बंगले की बजाय निचले हिस्से में स्थित एक कमरे में रहते थे जहां वो रात दिन शराब पिया करते थे।

राजेश खन्ना की मौत इसी बंगले में हुई। उस समय उनका पूरा परिवार उनके साथ था। उनकी अंतिम यात्रा भी इसी बंगले से निकली।