लव स्प्रे, खिंची चली आएंगी गर्लफ्रेंड

लव स्प्रे, खिंची चली आएंगी गर्लफ्रेंड

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अगर गर्लफ्रेंड करीब आने घबराती है है तो अब वशीकरण और जादू-टोना जैसे टोटके करने की जरूरत नहीं क्योंकि अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसा स्प्रे तैयार किया है जिसे सूंघते ही महिलाएं पुरुषों की ओर आकर्ष‍ित हो जाएंगी. इस स्प्रे में ‘लव हॉर्मोन’ ऑक्सीटोसि‍न को सिंथेटिक रूप में डाला गया है. जर्मनी के बॉन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का कहना है कि उनके प्रयोग में यह सामने आया है कि इस स्प्रे को सूंघते ही महिलाएं अपने साथियों को 15 फीसदी अधिक आकर्षक मानने लगीं.

 खुशबू से अट्रैक्ट होंगी महिलाएं :

वैज्ञानिकों ने इस स्प्रे को तैयार किया है, जिसकी खुशबू से महिलाएं पुरुषों की तरफ अट्रैक्ट होने लगती हैं. इस स्प्रे में लव हॉर्मोन ऑक्सीटोसिन को सिंथेटिक रूप में डाला गया है.

 सिंटोसिनन सिंथेटिक तत्व :

इस स्प्रे में सिंटोसिनन सिंथेटिक तत्व डाला गया है जो ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन से बनाया गया है. आपको पता होगा कि ये हार्मोन बॉडी में बनने पर प्यार और आकर्षण पैदा होता है. यही हार्मोन लगाव और प्रेम पैदा करने में खास भूमिका निभाता है.

 15 प्रतिशत ज्यादा आकर्षक लगे साथी :

शोध में 20 से 29 साल की 46 महिला प्रतिभागियों को शामिल किया गया. जब ये स्प्रे उन्होंने सूंघा, तो उन्हें उनके साथी पहले की तुलना में 15 फीसदी ज्यादा आकर्षक लगे.

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एग फ्रीजिंग तकनीक से किसी भी उम्र में बन सकती हैं मां

एग फ्रीजिंग तकनीक से किसी भी उम्र में बन सकती हैं मां

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निहारिका जब 35 साल की थी तो उन्हें उनकी गाइनेकोलॉजिस्ट ने एक ऐसी तकनीक के बारे में बताया जिसमें वह अपने अंडाणुओं को जमा (फ्रीज) कर अपनी प्रजनन क्षमता को सुरक्षित कर सकती है. एक सिस्ट को निकालने के लिए निहारिका को सर्जरी करवानी पड़ी थी जिसमें उन्होंने अपना एक अंडाशय (ओवरी) खो दिया इसलिए गाइनेकोलॉजिस्ट द्वारा सुझाया गया एग फ्रीजिंग का यह रास्ता उनके लिए एक अच्छा विकल्प था. समायरा पेशे से एक कंप्यूटर प्रोग्रामर हैं. पिछले कई रिश्तों में सफल न होने के कारण उन्होंने निराश होकर किसी से भी शादी न करने का फैसला किया.

लगभग सात-आठ महीने बाद निहारिका ने अपने परिजनों की मदद से आखिरकार अपने अंडाणुओं को फ्रीज करने का फैसला लिया और महिलाओं के ऐसे विस्तृत हो रहे समूह का हिस्सा बनी जो किसी मेडिकल कारण से नहीं बल्कि करियर या सही पार्टनर न मिलने या अन्य सामाजिक परिस्थितयों के कारण मातृत्व में विलंब करती हैं.

इस बारे में नई दिल्ली के इंदिरा आई.वी.एफ. के एक्सपर्ट बताते हैं कि कई बार विवाहित जोड़े आर्थिक तौर पर स्थिर न होने के कारण या एक सहज स्थिति तक पहुंचने के बाद ही घर में नए सदस्य को लाना चाहते हैं. ऐसे लोग भी इस तकनीक को चुन सकते हैं. इसके अलावा अंडाणुओं को शुरू में या समय से पहले ही सुरक्षित कर लेना ज्यादा फायदेमंद है. उम्र महत्वपूर्ण है क्योंकि अंडाणु 30 की उम्र में शीर्ण होने लगते हैं. इसके अलावा प्रजनन क्षमता भी उम्र के साथ घटने लगती है. अंडाणुओं को रजोनिवृत्ति से ठीक पहले जमा नहीं किया जा सकता इसलिए सावधान रहें क्योंकि आप अपने युवाकाल को पार कर चुके हैं इसलिए अच्छी गुणवत्ता के अंडाणुओं की गारंटी नहीं दी जा सकती.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखें तो एग फ्रीजिंग एक ऐसा मार्ग है जिसे सोफिया वरगारा और किम कर्दाशियां जैसी हॉलीवुड हस्तियों ने अपनाया है. भारत में डायना ने एक उदाहरण स्थापित किया है. हालांकि भारत में अभी भी एग फ्रीजिंग की यह तकनीक सामान्य नहीं है लेकिन धीरे-धीरे यह तकनीक लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर रही है. साथ ही ज्यादातर महिलाओं के करियर उन्मुख होने के कारण यह ट्रेंड अब धीरे-धीरे अपनी जगह बना रहा है.

 

क्या है एग फ्रीजिंग?

एग फ्रीजिंग जिसे परिपक्व अंडाणु निम्नताप परिरक्षण के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका प्रयोग महिलाओं की प्रजनन क्षमता को सुरक्षित करने के लिए किया जाता है.

आपके अंडाशय से अंडाणुओं को एकत्रित कर अनिषेचित अंडाशयों को जमाया जाता है और बाद में इस्तेमाल करने के लिए संग्रहित कर रख लिया जाता है. इस तकनीक के दौरान इन्हें 1.96 डिग्री सेल्सियस तापमान पर लिक्विड नाइट्रोजन में दस साल तक के लिए संग्रहित कर रखा जा सकता है. कुछ हद तक यह डीप फ्रीज करने जैसा है.

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन में एक जमे हुए अंडाणु को पिघलाया जाता है फिर प्रयोगशाला में उसे शुक्राणु के साथ मिलाकर गर्भाशय में स्थापित किया जाता है.

 

समझें इस तकनीक को

यह प्रक्रिया आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) से मिलती-जुलती है. इसके तहत पेषेंट को 10 से 12 दिन तक होर्मोनल इंजेक्शन दिए जाते हैं ताकि उसका अंडाशय उत्तेजित हो सके और सामान्य से ज्यादा अंडाणु बनाए और विकसित करे. इस प्रक्रिया के दौरान मरीज को रजोनिवृत्ति जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं. साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए कि उसका अंडाशय खतरनाक तरीके से अधिक उत्तेजित न हो जाए इसके लिए उसकी निगरानी भी की जाएगी.

इसके बाद उसके अंडाणु को सामान्य एनेस्थीसिया या दर्द दूर करने वाली दवा देकर पुनः प्राप्त किया जाता है. इसके लिए अल्ट्रासाउंड निर्देशित एक सुई का इस्तेमाल किया जाता है जो प्रत्येक कोश (फॉलिकल) से अंडाशय को खींच लेती है.

 

जब एक महिला अपने जमाए हुए अंडाशयों का इस्तेमाल करने के लिए तैयार होगी तब उन्हें गर्म किया जाएगा और शुक्राणु के साथ भीतर पहुंचाकर निषेचित होने के लिए छोड़ दिया जाएगा. सफल होने पर प्रक्रिया के परिणामस्वरूप दो से तीन प्रयासों में बनने वाले भ्रूणों को महिला के गर्भाशय में इस उम्मीद के साथ छोड़ा जाएगा कि इससे वह गर्भधारण कर सकेगी.

 

अंडकोषीय रिजर्व की जांच

महिलाओं की उम्र 30 साल होने के बाद उनकी प्रजनन क्षमता क्षतिग्रस्त होने लगती है. उनके अंडकोषीय रिजर्व में काफी गिरावट आ जाती है इसलिए यह बेहद जरूरी है कि अंडाशय का परीक्षण करवाया जाए. ये जांच महिलाओं का मार्गदर्शन करती हैं कि क्या उन्हें बांझ होने से बचाने के लिए कोई गंभीर कदम उठाया जाना चाहिए या देर होने से पहले सही कदम उठाने की जरूरत है. एक महिला एग फ्रीजिंग के परिणामों को ध्यान में रखकर इस तकनीक को अपना सकती है जिससे कि वह बाद में मातृत्व सुनिश्चित कर सके.

 

सफलता दर

यह देखा गया है कि फ्रोजन एग द्वारा हासिल किए गए गर्भावस्था की सफलता दर नए अंडाणुओं द्वारा प्राप्त की गई गर्भावस्था के बराबर ही है.

कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपनी महिला कर्मचारियों को एग फ्रीजिंग तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं ताकि बढ़ती उम्र का प्रभाव उनके करियर पर न पड़े और इस कारण से मातृत्व के सुख से वंचित हो जाने का डर भी उन्हें न परेशान करे.

पिछले कई सालों में संग्रहित करने की तकनीकों में काफी सुधार आया है इसलिए सफलता की दरें भी काफी बढ़ी हैं. आने वाले समय में मातृत्व जल्द ही बायोलॉजिकल क्लॉक की बंदिश से स्वतंत्र हो पाएगी.

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हेलीकाप्टर पेरेंटिंग

 हेलीकाप्टर पेरेंटिंग

helicopter parenting

माता-पिता के तौर पर जिम्मेदारियां निभाना बहुत कठिन हैं क्योंकि आपके मन में हमेशा बच्चे को अच्छी परवरिश देने की टेंशन रहती है और साथ ही आपको बच्चों के मन की बातें जानने के लिए कई तरह के जतन भी करने पड़ते हैं. लेकिन इस कोषिष में कहीं आप हेलीकाप्टर पेरेंट तो नहीं बन गए हैं? इससे आपका बच्चा परेषान तो नहीं हो गया है? सबसे पहले आपके लिए ये जानना जरूरी है कि हेलीकाॅप्टर पेरेंटिंग आखिर है क्या? दरअसल जो माता-पिता अपने बच्चे के हर काम में ज्यादा ही इन्वाॅल्व हो जाते हैं उन्हें इस श्रेणी में रखा जाता है. बच्चों के साथ सपोर्टिव होना और उनके काम में साथ देना एक अलग बात है लेकिन जब इसका दायरा बढ़ जाता है और आप बच्चों की हर छोटी से छोटी चीज को गंभीरता से लेकर उसमें खुद ही लग जाते हैं तब वो हेलिकाॅप्टर पेरेंटिंग की स्थिति बन जाती है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक हेलीकाॅप्टर पेरेंटिंग से प्रभावित बच्चे डिप्रेषन और उत्कंठा के षिकार हो जाते हैं. माता-पिता होने के नाते आप बच्चों के लिए अच्छा करने की सोचते हैं और उनके लिए ओवर-कन्सर्न हो जाते हैं ये स्थिति धीरे-धीरे आपके बच्चे को दूसरों के सामने डिप्रेस करने लगती है. 18 से 25 साल तक के काॅलेज जाने वाले 460 बच्चों पर अध्ययन किया गया. जिन बच्चों की जिंदगी में मां-बाप का दखल ज्यादा था वो अपने फैसले लेने में कम सक्षम नजर आएं. वो किसी भी सवाल का जवाब देने से पहले अपने अभिभावक की ओर देखने लगे. रिसर्च के दौरान उनसे कई टास्क भी कराए गए जिससे ये बात सामने आती है कि किसी मुष्किल हालात का सामना करने में भी ऐसे बच्चे दूसरों के मुकाबले पीछे रह जाते हैं.

इस बात को समझना बेहद जरूरी है कि माता-पिता अपने बच्चों से जिस तरह का व्यवहार करते हैं बच्चों का अपने प्रति नजरिया भी वैसे ही बनता है. अगर अभिभावक सपोर्टिव रोल अदा करते हैं तो बड़ा होता बच्चा अपनी चीजें खुद ही मैनेज करना सीखने लगता है. हेलीकाॅप्टर पेरेंटिंग से बचने का मतलब ये नहीं है कि बच्चों को हर तरह की आजादी दे दी जाए. उन्हें कम से कम इतनी छूट तो दी जानी चाहिए जिससे उनके सोचने-समझने की क्षमता को विकसित होने का मौका मिल सके. जानकारों का मानना है कि हेलीकाॅप्टर व्यवहार के पीछे सोच तो अच्छी होती है लकिन अभिभावकों को समझना होगा कि इसके नकारात्मक प्रभाव बच्चों पर ना पड़े.

डिपे्रशन में धकेलता परफेक्शन

वो माता-पिता सावधान हो जाएं जो बच्चों के हर काम में परफेक्शन ढूंढ़ते हैं. हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे बच्चों में भी डिप्रेषन की संभावना अधिक पाई गई है. ये बच्चे माता-पिता के डर से और उनके खौफ से कोई भी गलती करने से कतराते हैं. अभिभावकों द्वारा तय किए गए मानकों पर ये खरे नहीं उतर पाते हैं तो उसके लिए भी खुद को ही जिम्मेदार मानते हैं. मौजूदा समय में बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर कुछ ज्यादा ही तवज्जो दी जाने लगी है. सभी माता-पिता चाहते हैं कि सोसायटी में बच्चा दूसरे बच्चों के मुकाबले अच्छा परफाॅर्म करे. माता-पिता कि ये चाहत बच्चों पर प्रेशर बना देती है. वो बच्चों की किसी भी असफलता को स्वीकार करना नहीं चाहते हैं. इसका सारा गुस्सा वो बच्चों पर निकालते हैं. मां-बाप के गुस्से से बच्चे पहले ही इतना ज्यादा घबरा जाते हैं कि कोई काम चाह कर भी सही नहीं कर पाते हैं. गलती होने के डर से वो नई चीजों के लिए प्रयास करने से कतराते हैं. बचपन से उनके मन में बैठा ये डर उनकी आगे की जिंदगी को काफी प्रभावित करता है. न तो वो कुछ नया सीख पाते हैं और न ही कोई क्रिएटिविटी डेवलप कर पाते हैं. कुछ बच्चों में अभिभावकों के गुस्से का खौफ इतना ज्यादा रहता है कि वो गलती करने के बाद उसे स्वीकार भी नहीं करते हैं. अगर समय रहते बच्चों के प्रति आपने अपने व्यवहार में परिवर्तन नहीं किया तो ये स्थिति भयावह हो सकती है. बच्चों के कोमल मन पर आप जैसी छाप छोड़ेंगे उनका बाल मन वैसे ही आने वाले कल के लिए तैयार होगा.

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आखिर क्यों घूरते हैं लड़के

आखिर क्यों घूरते हैं लड़के

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लड़कियों को घूरने की आदत सदियों पुरानी है। कई लड़के पास से गुजर रही लड़की को तब तक देखते रहते हैं, जब तक कि वह उनकी आंखों से ओझल नहीं हो जाती।

आमतौर पर लड़कियां यही मानती हैं कि लड़कों की नजर बस उनके फिगर पर रहती है, लेकिन यह आधा सच है। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ नेब्रास्का-लिनकॉल्न के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया है कि लड़के सिर्फ फिगर देखकर ही लड़कियों के प्रति आकर्षित नहीं होते।

उदाहरण के लिए कुछ ऐसे भी पुरुष होते हैं, जिन्हें महिलाएं कितनी ही खूबसूरत क्यों न हों, उन्हें तब तक नहीं भातीं जब तक वो उनके स्वभाव से परिचित नहीं हो जाते। यूं तो महिलाओं की कई खूबियां पुरुषों को खूब लुभाती हैं, लेकिन कई चीजें ऐसी भी होती हैं, जो उन्हें उनसे दूर कर सकती हैं। इसलिए पुरुषों की भावनाओं को लेकर महिलाएं किसी भी प्रकार की गलतफहमी में न रहें।

 

 

आपका बॉयफ्रेंड वुमनाइजर तो नहीं !

आपका बॉयफ्रेंड वुमनाइजर तो नहीं !

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एक अच्छी रिलेशनशिप आपकी जिंदगी को खुशियों से सराबोर कर देती है। आपको सबकुछ अचानक से काफी अच्छा लगने लगता है। पर क्या आप इस बारे में कंफर्म हैं कि आपका बॉयफ्रेंड आपको लेकर सीरियस है? अगर वह सीरियस नहीं है तो उससे तुरंत छुटकारा पाना ही आपके लिए अच्छा होगा। ऐसे लड़कों को कमिटेड रिलेशनशिप में रहना नहीं भाता और वे कई पार्टनर्स के साथ रिलेशनशिप में होते हैं। हम आपको बता रहे हैं ऐसे लड़कों को पहचानने के तरीके:

क्या वह बहुत दिखावा करता है यह सबसे आसान तरीका है अपने बॉयफ्रेंड की हकीकत जान लेने का। अगर वह हर चीज को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है, अपनी गाड़ी और अपने रुतबे का बार-बार अहसास दिलाता है तो ऐसे बंदे से किनारा करने में ही आपकी भलाई है।

जैसा कहता है, वैसा करता नहीं वह वैसे तो आपके साथ रहता है, आपके साथ जीने-मरने की कसमें खाता है, मगर जब बारी अपने किसी फैमिली मेंबर से मिलाने की आती है तो उसकी घिग्घी बंध जाती है। अगर आपका बॉयफ्रेंड भी ऐसा ही है, तो यकीन मानिए वह आपको लेकर जरा भी सीरियस नहीं है। अगर अभी तक आपने यह बात न आजमाई हो, तो एक बार जरूर आजमा लीजिए।

केवल रात को ही मिलना चाहता है: अगर आपका बॉयफ्रेंड आपके साथ सिर्फ रात को ही वक्त बिताना चाहता हो, और कभी लंच या फिर शॉपिंग पर जाने की बात नहीं करता हो, तो वह भरोसे के काबिल नहीं है। हमारे ख्याल से आपको एक बार फिर से अपने रिश्ते के बारे में सोचने की जरूरत है।

तारीफ की हद कर देता है: जब भी किसी महिला की तारीफ की जाती है, तो जाहिर सी बात है उसे अच्छा लगता है। मगर आप अपने पर ध्यान दीजिए, कहीं वह हर बार मिलने पर आपकी तारीफें करते थकता नहीं, आपके फीगर, आपके कपड़ों और आपके व्यक्तित्व की जरूरत से ज्यादा तारीफ करता है.. अगर ऐसा है, तो बहुत मुमकिन है कि वह एक वुमनाइजर है।

मिलने के बाद कभी कॉल नहीं करता:

आप उस लड़के से मिलीं और उसके साथ 1-2 दिन बित चुके हैं, और वह अचानक आपकी जिंदगी से गायब हो जाता है, अगर ऐसा है, तो आप समझ ही गई होंगी हम क्या कहना चाहते हैं। आपको अपना बॉयफ्रेंड चुनते वक्त बेहद सावधान रहने की जरूरत है। अगर कोई लड़का ऐसी हरकतें करता है, तो समझ जाइए कुछ गड़बड़ है।

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क्यों सुहागरात को सूनी रह जाती है सेज?

क्यों सुहागरात को सूनी रह जाती है सेज?

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फर्स्ट नाइट को लेकर अकसर नवविवाहित जोड़ों में एक अलग ही क्रेज होता है. ऐसा ही कुछ षादी के बाद पहली बार मायके आई नेहा के साथ भी हुआ. नेहा से मिलते ही उसकी सहेली दिषा चहकते हुए बोली कि सच-सच बताना कि क्या हुआ षादी की पहली रात को. नेहा बोली कि जैसा तुम सोच रही हो वैसा कुछ भी नहीं हुआ. हम दोनों ने काफी देर तक अपने स्कूल, कॉलेज और यार दोस्तों की बात की और पूरी रात बात करते-करते ही निकल गई कि पता ही नहीं चला. आमतौर पर फर्स्ट नाइट को लेकर लोगों में कुछ ज्यादा ही उत्साह होता है फिर भी कुछ जोड़े ऐसे होते हैं जो इन पलों को इन्ज्वॉय नहीं कर पाते। दरअसल, लंदन में हुए एक सर्वे में यह बात सामने आई हैं कि आधे से ज्यादा कपल्स सुहागरात इसलिए नहीं मना पाते, क्योंकि दूल्हा शराब के नशे में बुरी तरह मदहोश होता है। इस सर्वे से यह जानने की कोशिश की गई थी कि किन-किन वजहों से कपल्स सुहागरात नहीं मना पाते। इस सर्वे में लगभग 2100 लोगों से सवाल किए गए थे। इनमें से किसी को भी शादी किए हुए तीन साल से अधिक का समय नहीं हुआ था।

2100 लोगों पर किए गए सर्वे में से 52 फीसदी का मानना है कि वह पहली रात को सुहागरात नहीं मना पाए। अधिकांश मामलों में दूल्हा टल्ली रहा तो वहीं कई मामलों में 13 फीसदी दुल्हन भी टल्ली होने की वजह से सुहागरात नहीं मना सकी। दस में से एक फीसदी कपल्स के पार्टी के दौरान झगड़ा होने की वजह से वह सुहागरात नहीं मना सकें।

सर्वे के अनुसार, दूल्हे का जल्दी सो जाना और रिसेप्शन के दौरान हुई बहस भी सुहागरात न मना पाने की एक बड़ी वजह है। इस सर्वे में जो सबसे आश्चर्यचकित करने वाली बात है, वह यह है कि ज्यादातर जोड़ों को सुहागरात के लिए तीन दिन तक इंतजार करना होता है।

52 प्रतिशत कपल्स ने माना कि वह शादी की रात संबंध नहीं बना पाते, जबकि 17 फीसदी ने कहा कि शादी के बाद उन्हें सुहागरात बनाने के लिए तीन दिन तक इंतजार करना पड़ा। सर्वे में सुहागरात को संबंध न बना पाने वालों में से 24 फीसदी ने दूल्हे के नशे में धुत होने को वजह बताया। 16 फीसदी ने दुल्हन की थकान और 13 प्रतिशत ने दुल्हन के टल्ली होने को वजह बताया। ऐसे भी लोग थे, जो दूल्हे के सो जाने की वजह से सुहागरात नहीं मना पाए। 9 फीसदी ऐसे जोड़े भी सामने आए, जिन्होंने कबूल किया कि उन्होंने सुहागरात की रात हनीमून के सफर में खर्च कर दी, जबकि 7 फीसदी लोगों ने वह रात मेहमानों के साथ पार्टी में गुजार दी।

इस बारे में एक्सपर्ट का कहना है कि शादी का ताम-झाम इतने बड़े स्तर पर होता है कि वह कपल्स को बुरी तरह थका देता है। इसलिए कपल्स में पहली रात को संबंध बनाना इतना जरूरी नहीं रह गया। इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि कुछ जोड़े पहले से ही लिव इन रिलेशन में रह रहे होते हैं।

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ब्रेकअप करें और हेल्दी रहें

 ब्रेकअप करें और हेल्दी रहें

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जिंदगी में अच्छे रिलेश्‍नशिप बेहतर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पाने में मदद करते हैं. वहीं दूसरी तरफ खराब रिष्ते आपके लिए जी का जंजाल बन जाते हैं. ऐसे रिष्तों से बाहर निकलना उनके स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा होता है. ये बात एक नई रिसर्च में सामने आई है. शेाधकर्ताओं में से एक रहीं न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी आफ बफैलो की अस्सिटेंट प्रोफेसर एष्ले बर कहती हैं कि अगर आपका रिष्ता अच्छा नहीं चल रहा है तो यह आपके स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है. इसलिए इससे बेहतर है अकेले रहना. किसी रिलेषनषिप में बने रहना महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि लंबे और बेहतर रिश्‍ते लाभ देते हैं. गौरतलब है कि यह षोध जर्नल आॅफ फैमिली साइकोलाॅजी में प्रकाशित किया गया है. इस रिसर्च से ये पता चला कि जितने ज्यादा दिन तक लोग अच्छे रिश्‍तों  में रहते हैं या जितनी जल्दी वे बुरे रिश्‍ते  से पीछा छुड़ाते हैं, उनका स्वास्थ्य उतना ही बेहतर होता है. अच्छे रिष्तों का असर सेहत पर बहुत जल्दी पड़ना षुरू हो जाता है. वहीं बुरे रिश्‍ते  स्वास्थ्य पर नुकसानदेह असर डालते हैं. खासकर तब और भी ज्यादा जब ये रिश्‍ते अधिक समय तक बने रहते हैं.

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फूड जो बना दे मूड

फूड जो बना दे मूड

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जो लोग खाने-पीने के शौकीन होते हैं वो नई-नई चीजें ट्राई करने के लिए हमेषा तैयार रहते हैं. वो खाने से पहले ज्यादा सोच-विचार नहीं करते हैं. लेकिन कुछ चीजें ऐसी हैं जो हेल्थ के साथ-साथ आपकी रोमांटिक लाइफ को भी प्रभावित कर देती है. जी हां! स्वाद में अच्छी लगने वाली कुछ चीजें आपके सेक्स ड्राइव को प्रभावित कर सकती है.

उन चीजों में पहला नाम है सेब का. सेक्स करने से पहले आपको सेब खाने से परहेज करना चाहिए. सेब में इंसुलिन ज्यादा होता है इसलिए ये आपके टेस्टास्टरोन लेवन के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

रिलेषनषिप बनाने से पहले आप टाॅनिक वाॅटर पीते हैं तो संभल जाएं क्योंकि आप षायद नहीं जानते होंगे कि टाॅनिक वाॅटर भी सेक्स करने की इच्छा को खत्म कर देता है.

अगर सेक्स से पहले आपको पिपरमिंट या च्विंग गम खाने की आदत है तो सावधान, ये आपके जोष को ठंडा कर सकता है.

अगर आप उन खास पलों की मिठास बढ़ाने के लिए चीनी का सेवन करते हैं तो अब बंद कर दें. रिसर्च के मुताबिक इसे खाने के बाद सेक्स हार्मोन का लेवल कम हो जाता है.

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पुरूष ही क्यों करें पहल

पुरूष  ही क्यों करें पहल

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यूं तो अब तक महिलाओं को षर्म, हया के पर्दे में ही पसंद किया जाता रहा है. मगर अब किसी भी रिलेषनषिप में अगर महिलाएं पहल करती हैं तो पुरूषों को ये बात पसंद आती है. एक डेटिंग एप के सर्वेक्षण में यह दावा किया गया है. ‘ट्रूली मैडली’ ने 18 से 30 की उम्र के 4,550 पुरूषों और 2,450 महिलाओं को लेकर ये सर्वे किया. सर्वे में हिस्सा लेने वाले 62 प्रतिशत पुरूषों ने माना कि डेटिंग के लिए उन्होंने पहल की थी. वहीं 88 प्रतिशत पुरूषों ने कहा कि जब महिलाएं पहल करती हैं तो उन्हें ये बेहद पसंद आती है. परिधान के मामले में 91 प्रतिशत महिलाएं पुरूषों को सफेद टी-शर्ट और नीली जींस में देखना पसंद करती हैं, वहीं पुरूष भी इसे पसंद करते हैं. इस सर्वे के जरिए और भी कई बात सामने आई. 58 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि वे डेटिंग पर जाने से पहले सोशल मीडिया पर अपने पुरूष मित्र की पोस्ट देखती हैं. वहीं 51 प्रतिषत पुरूष ये काम करते हैं. सर्वे के मुताबिक पुरूष और महिलाएं दोनों ही सांसों की दुर्गंध से बचते हैं.

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