कंगन गिरवी रखकर मेहमानों को खाना खिलाती थीं मां

कंगन गिरवी रखकर मेहमानों को खाना खिलाती थीं मां

javed-shabana1

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शबाना आजमी और नसीरुद्दीन शाह ने अपनी जिंदगी के कई दिलचस्प पहलुओं से लोगों को रू-ब-रू कराया। मशहूर अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि उन्हें 1975 में फिल्म ‘निशांत’ उनके खराब लुक की वजह से मिली थी। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी खराब शक्ल की वजह से उनकी गर्लफ्रेंड उन्हें छोड़कर चली गई थी। दूसरी ओर, बॉलीवुड एक्ट्रेस शबाना आजमी ने भी अपनी जिंदगी से जुड़ी कई बातें बताईं। शबाना ने अपने बचपन के बारे में बताया, “हमें कभी महसूस नहीं हुआ कि हम गरीब हैं। हमारे घर में पैसे को लेकर समस्या नहीं थी। मेरी मां मेहमाननवाजी की बहुत शौकीन थीं। पिता कई बार 9-10 लोगों को घर पर बुला लेते थे। तब मेरी मां अपने सोने के कंगन को गिरवी रख देती थीं और उसके बदले मिले पैसों से राशन वगैरह लाकर सबके लिए खाना बनाती थीं। जब भी उनके हाथों में कंगन नहीं होते थे, तब हम समझ जाते थे कि हमारे घर पर कुछ मेहमान आने वाले हैं।”

शबाना  ने अपनी मां शौकत कैफी और पिता कैफी आजमी के बारे में बताया, “मेरी मां हैदराबाद के अपर मिडल क्लास से ताल्लुक रखती थीं। वे कपड़ों की खरीददारी पर बहुत खर्च किया करती थीं। वे शायरी भी पसंद करती थीं। उन्हें मेरे पिता की शायरी बहुत पसंद आई थी। दोनों ने शादी की। मेरे पिता बहुत ज्यादा नहीं कमाते थे, इसलिए वे काम करने के लिए बाहर निकलीं। वे रेडियो अनाउंसर बन गईं। उन्होंने पृथ्वी थिएटर ज्वॉइन किया और आखिरकार वे अदाकारा बन गईं। वे घर चलाने वाली थीं।”

कला बदलाव का जरिया है

अपने करियर च्वॉइस के बारे में शबाना ने कहा, “मेरी परवरिश ऐसे माहौल में हुई है, जहां यह माना जाता था कि कला बदलाव का जरिया है। घर में राजनीति की इतनी बातें होती थीं कि जब मैं 19 या 20 साल की थी तब मुझे इस बात को लेकर गर्व होता था कि मैं अखबार नहीं पढ़ती। मेरी दिलचस्पी राजनीति में नहीं थी। मैं सिर्फ एक कलाकार थी। मेरे पिता ने मुझ पर कोई दबाव नहीं बनाया। मैंने जिस तरह की फिल्में कीं, वे सामाजिक अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाली थीं।”

घर में पैसा न होने की वजह से फिल्मी गाने लिखे

शबाना ने अपने पिता के बारे में बताया, “घर में पैसा नहीं होने की वजह से वे फिल्मों के गीत लिखने लगे। उनके गाने मशहूर हुए, लेकिन फिल्में फ्लॉप। फिल्म इंडस्ट्री में यह छवि बन गई कि कैफी बदकिस्मत हैं। उन्हें काम मिलना बंद हो गया। एक दिन चेतन आनंद हमारे घर आए और मेरे पिता से गाना लिखने को कहा। मेरे पिता ने कहा कि लोग कहते हैं कि मेरे गाने अच्छे हैं, लेकिन किस्मत खराब है। इस पर चेतन ने कहा कि लोग कहते हैं कि मैं अच्छा डायरेक्टर हूं, लेकिन मेरी किस्मत भी अच्छी नहीं है। अगर हम साथ आ जाएं तो कुछ अच्छा हो सकता है। उसके बाद हकीकत बड़ी कामयाब फिल्म बनी।”

जावेद और कैफी में फर्क

अपने पिता और जावेद अख्तर के बीच समानता के बारे में शबाना आजमी ने कहा, “दोनों का बैकग्राउंड एक जैसा है। दुनिया को देखने-समझने का दोनों का तरीका भी एक जैसा है। लेकिन बयां करने का अंदाज बिल्कुल जुदा। जावेद की शैली बहुत व्यक्तिगत होकर लिखने की है।”