आखिर इतना महत्‍व क्‍यों है पटना साहिब का

आखिर इतना महत्‍व क्‍यों है पटना साहिब का

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सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह के 350वें प्रकाशोत्सव पर आयोजित कार्यक्रम में पीएम नरेन्द्र मोदी भी शामिल होंगे। इस मौके पर पटना के सभी गुरुद्वारों को बड़े ही आकर्षक ढंग से सजाया गया है। इस प्रकाशोत्सव को लेकर तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब के दर्शन के लिए सिख श्रद्धालु देश – विदेश से पहुंच रहे हैं।

पटना साहिब का सिख पंथ के मानने वालों में विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि सिखों के दसवें और अंतिम गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर 1666 ई. में पटना में हुआ था। गुरु गोबिंद सिंह को लोग सर्वन्सदानी भी कहते है। गुरु गोबिंद सिंह एक ऐसे संत थे जिन्हें एक साथ सैनिक और संत कहलाने का सौभाग्य प्राप्त था। 29 मार्च 1676 ई. को गोबिंद सिंह सिखों के गुरु बने और 1708 तक इस पद पर बने रहे। वोह सिखों के सैनिक संगति और खालसा के सृजन के लिए जाने जाते हैं।

श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब का निर्माण महाराजा रणजीत सिंह द्वारा करवाया गया है। जिस समय गुरु गोबिंद सिंह का जन्म वर्तमान के तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब में हुआ था, उस समय उनके पिता व नवम् गुरु तेग बहादुर जी गुरु मिशन की प्रचार के लिए धुबड़ी असम की यात्रा पर गए थे। नवम् गुरु की पत्नी माता गुजरी गर्भवती थीं।

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गुरु श्री गोविन्द सिंहजी के 350 वें प्रकाशउत्सव पर सभी देशवासियों को बधाइयां. देश को देशहित के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करदेने वाली एक कौम देने के लिये यह देश उनका सदा अभारी रहेगा. आज मोदीजी का उनके जन्मस्थल पर जाकर उनका स्मरण् करना देश के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण संदेश है.

जहां गुरु गोबिंद सिंह का जन्म हुआ, वहां सलिसराय जौहरी का आवास होता था, जो सिख पंथ के संस्थापक गुरु नानक देव जी महाराज का भक्त था। श्री गुरु नानक देव जी भी यहां आए थे। जब गुरु साहिब यहां पहुंचे तो जो डेउहरी लांघ कर अंदर आए वह अभी तक मौजूद है। बाल गोबिंद राय (गुरु गोबिंद सिंह के बचपन का नाम) यहां छह साल की आयु तक रहे। बहुत संगत बाल गोबिंद राय के दर्शनों के लिए यहां आती थी। माता गुजरी जी का कुआं आज भी यहां मौजूद है।

पटना हरिमंदिर साहिब में आज भी गुरु गोबिंद सिंह की वह छोटी पाण है, जो बचपन में वे धारण करते थे। इसके अलावे आने वाले श्रद्धालु उस लोहे की छोटी चकरी को, जिसे गुरु बचपन में अपने केशों में धारण करते थे तथा छोटा बघनख खंजर, जो कमर-कसा में धारण करते थे, को देखना नहीं भूलते। गुरु तेग बहादुर जी महाराज जिस संदल लकड़ी के खड़ाऊं पहना करते थे, उसे भी यहां रखा गया है, जो श्रद्धालुओं की श्रद्धा से जुड़ा है।

पीएम नरेन्द्र मोदी ने गुरु गोबिंद सिंह की 350वीं जयंती पर आयोजित प्रकाश पर्व में शामिल होने के लिए पटना रवाना होने से पहले ट्वीट कर कहा, ‘गुरु गोबिंद सिंह जी अदम्य साहस और अद्भुत ज्ञान से परिपूर्ण थे। उनकी बहादुरी प्रत्येक भारतीय के दिल और दिमाग में बसी हुई है।

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