मूवी रिव्यू: रज्जो

Film-Bhanwari-Devi

कलाकार: कंगना रणौत, पारस अरोड़ा, जया प्रदा, प्रकाश राज, महेश मांजरेकर

निर्माता : एम शाह निर्देशक : विश्वास पाटिलगीत : समीर, देव कोहली, विश्वास पाटिल संगीत: उत्तम सिंह,गुरमीत सिंह

अवधि : 137mins

मूवी टाइप : Drama

करीब दो सप्ताह पहले कंगना ने कृष 3 में काया के किरदार को कुछ ऐसे बेहतरीन ढंग से पर्दे पर उतारा कि दर्शक इस फिल्म के सुपर हीरो कृष और काया की तारीफें करते नजर आए। कुछ ऐसी ही तारीफें कंगना इस शुक्रवार पर्दे पर उतरी रज्जो के लिए भी बटोर रही हैं। यूं तो इस फिल्म में कंगना के अलावा महेश मांजरेकर, प्रकाश राज, जया प्रदा जैसे कई दूसरे मंझे हुए स्टार्स भी हैं, लेकिन फिल्म की लीड रज्जो के किरदार में कंगना कुछ ऐसे ढल गई हैं कि हॉल से निकलने के बाद आपको याद रह जाती हैं।

स्क्रिप्ट की खामियों के साथ-साथ कंगना का बेहतरीन अभिनय इस फिल्म की सबसे बडी यूएसपी है। पिछले कुछ अर्से से तेजी से पनपते मल्टिप्लेक्स के इस दौर में सिल्वर स्क्रीन पर आपको ब्रेक डांस से लेकर पीटी नुमा डांस तो हर दूसरी फिल्म में नजर आ जाएंगे। लेकिन अगर मुजरे की बात की जाए, तो लीक से हटकर फिल्म बनाने या कुछ नया दिखाने की चाह में फिल्मनगरी के मेकर इस बेहतरीन नृत्य शैली को अब लगभग भूल चुके हैं।

ऐसे दौर में बॉक्स आफिस कलेक्शन का मोह छोड़कर डायरेक्टर विश्वास पाटिल और फिल्म की प्रोडक्शन कंपनी ने जोखिम तो लिया लेकिन कमजोर स्क्रिप्ट और लचर एडिटिंग के चलते सवा दो घंटे की यह म्यूज़िकल फिल्म दर्शकों की उस क्लास की कसौटी पर भी खारी नहीं उतर रही है जिसके लिए इस फिल्म को बनाया गया है। यह यकीनन फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी है।

कहानी: बदनाम गलियों में रज्जो (कंगना राणौत) अपने कोठे पर मुजरा करती है। रज्जो की खूबसूरती और उसका बेहतरीन मुजरा शहर के अमीरों को इस कोठे तक अक्सर हर शाम खींच लाता है। इस कोठे को बेगम (महेश मांजरेकर) चलाती है जिसका पूरे इलाके में दबदबा है। रज्जो की कहानी में टर्न उस वक्त आता है जब यंग किक्रेटर चंदू (पारस अरोड़ा) अपनी टीम की जीत के जश्न को सेलिब्रेट करने पहुंचता है। रज्जो का मुजरा देखने के बाद चंदू उसकी खूबसूरती पर मर-मिटता है। चंदू की उम्र करीब अठारह साल है। रज्जो उससे उम्र में बड़ी है, लेकिन चंदू को इसकी परवाह नहीं। कुछ मुलाकातों के बाद रज्जो भी चंदू की और आकर्षित होने लगती है। अब अगर आपको हम रज्जो के अतीत और चंदू-रज्जो की लव स्टोरी के बीच विलेन बनने वालों के बारे में बताने लगे तो फिल्म में देखने के लिए कुछ नहीं बचेगा।

ऐक्टिंग: रज्जो के किरदार में कंगना शुरू से आखिर तक फिल्म में छाई हुई हैं। अगर कंगना के डांस या मुजरे की बात करें तो यकीनन कंगना की मेहनत साफ नजर आती है। कंगना का मुजरा ही इस फिल्म की सबसे बड़ी यूएसपी है। चंदू के किरदार में पारस अरोड़ा फिट बैठते हैं, लेकिन कंगना के सामने जब भी पारस नजर आए कुछ दबे-दबे लगे। अन्य भूमिकाओं में, बेगम के किरदार में महेश मांजरेकर खूब जमे हैं। प्रकाश राज एकबार फिर अपने पुराने स्टाइल में दिखे हैं। जया प्रदा और दिलीप ताहिल के करने के लिए फिल्म में कुछ खास था ही नहीं।

निर्देशन: विश्वास पाटिल के निर्देशन में आत्मविश्वास की कमी साफ नजर आती है। फिल्म के सेट और डांस पर तो उनकी मेहनत साफ नजर आती है, लेकिन कहानी की सुस्त रफ्तार और अस्सी-नब्बे के दशक की फिल्मों में नजर आने वाला माहौल रज्जो को यंगस्टर्स से दूर करता है।

संगीत: उत्तम सिंह ने कहानी के मिजाज और माहौल पर फिट संगीत दिया है। ‘जुल्मी रे जुल्मी’ और ‘कैसे मिलूं मैं जो मुझे पसंद आया’ उन म्यूजिक लवर्स की कसौटी पर खरे उतरने का दम रखते है जो ब्रेकडांस और पार्टी आल नाइट जैसे गानों के बीच कुछ नया सुनना चाहते हैं।

क्यों देखें: बरसों बाद सिल्वर स्क्रीन पर बेहतरीन मुजरा और कंगना का शानदार अभिनय इस फिल्म में देखने लायक है। हां, अगर टोटली मसाला और ऐक्शन फिल्मों के शौकीन है तो ‘रज्जो’ से मिलकर अपसेट होंगे।