‘मैं बिकाऊ हूं, कोई खरीद लो’!

मैं बिकाऊ हूं, कोई खरीद लो‘!

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आजकल बच्चे जहां अपने बूढ़े मां-बाप को घर के किसी कोने में पनाह देते हैं या उन्हें लाचार अवस्था में वृद्धाश्रम का रास्ता दिखा देते हैं. वहीं एक ऐसी संतान भी है जिसने गरीबी से तंग आकर अपने बूढ़े मां-बाप के इलाज के लिए सोशल साइट फेसबुक पर अपने ही जिस्म की बोली लगा दी. आखिर हम किस सामज में रह रहे हैं जहां हम देवियों की पूजा करते हैं उसी समाज में हमारी मां-बहन बेटियों की इज्जत तार-तार होती है या फिर मजबूर होकर इस तरह का रास्ता अपनाना पड़ता है.

पेशे से मॉडल इस लड़की का नाम चांदनी है. चांदनी के माता-पिता बीमार हैं और उसके पास इलाज तक के लिए पैसे नहीं है. जब मदद की हर आस टूट गई तो मजबूर चांदनी ने खुद को बेचने का फैसला कर लिया और आखिरकार तंग आकर चांदनी ने फेसबुक पर लिखा कि वो बिकाऊ है.

जी हां… हैरान होने की जरुरत नहीं, चांदनी बिकाऊ है. ये कोई विज्ञापन की लाइन नहीं है, बल्कि हमारे समाज की कमजोरियों को बेपर्दा करता एक कड़वा सच है. सवाल ये कि आखिर चांदनी ने फेसबुक पर ऐसी पेशकश क्यों की. ऐसी क्या मजबूरी आ पड़ी कि उसने अपनी ही बोली लगा दी. पेशे से मॉडल चांदनी गुजरात के वडोदरा की रहने वाली है और अपने माता-पिता की इकलौती संतान है. कुछ दिन पहले तक सब ठीक था. मॉडलिंग और फिल्मों में छोटे-मोटे रोल करके चांदनी अपना और अपने परिवार का गुजर-बसर कर रही थी. दिक्कत तब शुरू हुई जब उसकी मां को लकवा मार गया.

मां का इलाज चल ही रहा था कि एक दिन पिता भी सीढ़ियों से गिर गए. इसके बाद तो चांदनी की दुनिया घर की चारदीवारी में सिमट गई. माता-पिता की सेवा के लिए चांदनी को 24 घंटे घर में रहना पड़ता था. ऐसे में कमाई के सारे रास्ते बंद हो गए. मजबूर चांदनी ने रिश्तेदारों, परिचितों से मदद मांगी. चांदनी को धक्का तब लगा जब उसके एक परिचित ने मदद के बदले उसका जिस्म मांगा. समाज का ये घिनौना रूप देखकर दंग चांदनी ने तय किया कि जब लोगों की नाजायज मांगें माननी ही हैं तो क्यों न खुलेआम मानी जाए. यही सोचकर उसने अपने फेसबुक पेज पर लिख दिया कि ‘चांदनी बिकाऊ है.’

‘चांदनी राजगौर बिकाऊ है अपने मां-बाप के लिए. मां लकवा के कारण असहाय है, पिता का पैर टूट गया है एक हफ्ते पहले. घर चलाने और मां-बाप की सेवा में हर वक्त हमारी हाजिरी जरूरी हो गई है. इसलिए कुछ सहारा नहीं है. इस भारत की बेटी के पास एक ही चीज बची है- खुद को बेच देना.’

हालांकि, चांदनी ये मानती है कि उसने जो किया वो गलत है लेकिन उसके पास कोई चारा नहीं बचा था. चांदनी के इस कदम की जानकारी जैसे ही सुर्खियों में आई, लोगों में हड़कंप मच गया. इस बीच कुछ अच्छे लोग भी सामने आए जो चांदनी की मजबूरी जानने के बाद उसकी मदद के लिए आगे आए. खुद्दार चांदनी अभी भी लोगों की मदद लेने से हिचकिचा रही है. उसका कहना है कि उसे भीख नहीं चाहिए. चांदनी का कहना है कि जैसे ही उसके माता-पिता ठीक हो जाएंगे वो काम करके लोगों के पैसे लौटा देगी.