एग फ्रीजिंग तकनीक से किसी भी उम्र में बन सकती हैं मां

एग फ्रीजिंग तकनीक से किसी भी उम्र में बन सकती हैं मां

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निहारिका जब 35 साल की थी तो उन्हें उनकी गाइनेकोलॉजिस्ट ने एक ऐसी तकनीक के बारे में बताया जिसमें वह अपने अंडाणुओं को जमा (फ्रीज) कर अपनी प्रजनन क्षमता को सुरक्षित कर सकती है. एक सिस्ट को निकालने के लिए निहारिका को सर्जरी करवानी पड़ी थी जिसमें उन्होंने अपना एक अंडाशय (ओवरी) खो दिया इसलिए गाइनेकोलॉजिस्ट द्वारा सुझाया गया एग फ्रीजिंग का यह रास्ता उनके लिए एक अच्छा विकल्प था. समायरा पेशे से एक कंप्यूटर प्रोग्रामर हैं. पिछले कई रिश्तों में सफल न होने के कारण उन्होंने निराश होकर किसी से भी शादी न करने का फैसला किया.

लगभग सात-आठ महीने बाद निहारिका ने अपने परिजनों की मदद से आखिरकार अपने अंडाणुओं को फ्रीज करने का फैसला लिया और महिलाओं के ऐसे विस्तृत हो रहे समूह का हिस्सा बनी जो किसी मेडिकल कारण से नहीं बल्कि करियर या सही पार्टनर न मिलने या अन्य सामाजिक परिस्थितयों के कारण मातृत्व में विलंब करती हैं.

इस बारे में नई दिल्ली के इंदिरा आई.वी.एफ. के एक्सपर्ट बताते हैं कि कई बार विवाहित जोड़े आर्थिक तौर पर स्थिर न होने के कारण या एक सहज स्थिति तक पहुंचने के बाद ही घर में नए सदस्य को लाना चाहते हैं. ऐसे लोग भी इस तकनीक को चुन सकते हैं. इसके अलावा अंडाणुओं को शुरू में या समय से पहले ही सुरक्षित कर लेना ज्यादा फायदेमंद है. उम्र महत्वपूर्ण है क्योंकि अंडाणु 30 की उम्र में शीर्ण होने लगते हैं. इसके अलावा प्रजनन क्षमता भी उम्र के साथ घटने लगती है. अंडाणुओं को रजोनिवृत्ति से ठीक पहले जमा नहीं किया जा सकता इसलिए सावधान रहें क्योंकि आप अपने युवाकाल को पार कर चुके हैं इसलिए अच्छी गुणवत्ता के अंडाणुओं की गारंटी नहीं दी जा सकती.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखें तो एग फ्रीजिंग एक ऐसा मार्ग है जिसे सोफिया वरगारा और किम कर्दाशियां जैसी हॉलीवुड हस्तियों ने अपनाया है. भारत में डायना ने एक उदाहरण स्थापित किया है. हालांकि भारत में अभी भी एग फ्रीजिंग की यह तकनीक सामान्य नहीं है लेकिन धीरे-धीरे यह तकनीक लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर रही है. साथ ही ज्यादातर महिलाओं के करियर उन्मुख होने के कारण यह ट्रेंड अब धीरे-धीरे अपनी जगह बना रहा है.

 

क्या है एग फ्रीजिंग?

एग फ्रीजिंग जिसे परिपक्व अंडाणु निम्नताप परिरक्षण के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका प्रयोग महिलाओं की प्रजनन क्षमता को सुरक्षित करने के लिए किया जाता है.

आपके अंडाशय से अंडाणुओं को एकत्रित कर अनिषेचित अंडाशयों को जमाया जाता है और बाद में इस्तेमाल करने के लिए संग्रहित कर रख लिया जाता है. इस तकनीक के दौरान इन्हें 1.96 डिग्री सेल्सियस तापमान पर लिक्विड नाइट्रोजन में दस साल तक के लिए संग्रहित कर रखा जा सकता है. कुछ हद तक यह डीप फ्रीज करने जैसा है.

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन में एक जमे हुए अंडाणु को पिघलाया जाता है फिर प्रयोगशाला में उसे शुक्राणु के साथ मिलाकर गर्भाशय में स्थापित किया जाता है.

 

समझें इस तकनीक को

यह प्रक्रिया आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) से मिलती-जुलती है. इसके तहत पेषेंट को 10 से 12 दिन तक होर्मोनल इंजेक्शन दिए जाते हैं ताकि उसका अंडाशय उत्तेजित हो सके और सामान्य से ज्यादा अंडाणु बनाए और विकसित करे. इस प्रक्रिया के दौरान मरीज को रजोनिवृत्ति जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं. साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए कि उसका अंडाशय खतरनाक तरीके से अधिक उत्तेजित न हो जाए इसके लिए उसकी निगरानी भी की जाएगी.

इसके बाद उसके अंडाणु को सामान्य एनेस्थीसिया या दर्द दूर करने वाली दवा देकर पुनः प्राप्त किया जाता है. इसके लिए अल्ट्रासाउंड निर्देशित एक सुई का इस्तेमाल किया जाता है जो प्रत्येक कोश (फॉलिकल) से अंडाशय को खींच लेती है.

 

जब एक महिला अपने जमाए हुए अंडाशयों का इस्तेमाल करने के लिए तैयार होगी तब उन्हें गर्म किया जाएगा और शुक्राणु के साथ भीतर पहुंचाकर निषेचित होने के लिए छोड़ दिया जाएगा. सफल होने पर प्रक्रिया के परिणामस्वरूप दो से तीन प्रयासों में बनने वाले भ्रूणों को महिला के गर्भाशय में इस उम्मीद के साथ छोड़ा जाएगा कि इससे वह गर्भधारण कर सकेगी.

 

अंडकोषीय रिजर्व की जांच

महिलाओं की उम्र 30 साल होने के बाद उनकी प्रजनन क्षमता क्षतिग्रस्त होने लगती है. उनके अंडकोषीय रिजर्व में काफी गिरावट आ जाती है इसलिए यह बेहद जरूरी है कि अंडाशय का परीक्षण करवाया जाए. ये जांच महिलाओं का मार्गदर्शन करती हैं कि क्या उन्हें बांझ होने से बचाने के लिए कोई गंभीर कदम उठाया जाना चाहिए या देर होने से पहले सही कदम उठाने की जरूरत है. एक महिला एग फ्रीजिंग के परिणामों को ध्यान में रखकर इस तकनीक को अपना सकती है जिससे कि वह बाद में मातृत्व सुनिश्चित कर सके.

 

सफलता दर

यह देखा गया है कि फ्रोजन एग द्वारा हासिल किए गए गर्भावस्था की सफलता दर नए अंडाणुओं द्वारा प्राप्त की गई गर्भावस्था के बराबर ही है.

कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपनी महिला कर्मचारियों को एग फ्रीजिंग तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं ताकि बढ़ती उम्र का प्रभाव उनके करियर पर न पड़े और इस कारण से मातृत्व के सुख से वंचित हो जाने का डर भी उन्हें न परेशान करे.

पिछले कई सालों में संग्रहित करने की तकनीकों में काफी सुधार आया है इसलिए सफलता की दरें भी काफी बढ़ी हैं. आने वाले समय में मातृत्व जल्द ही बायोलॉजिकल क्लॉक की बंदिश से स्वतंत्र हो पाएगी.

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हेलीकाप्टर पेरेंटिंग

 हेलीकाप्टर पेरेंटिंग

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माता-पिता के तौर पर जिम्मेदारियां निभाना बहुत कठिन हैं क्योंकि आपके मन में हमेशा बच्चे को अच्छी परवरिश देने की टेंशन रहती है और साथ ही आपको बच्चों के मन की बातें जानने के लिए कई तरह के जतन भी करने पड़ते हैं. लेकिन इस कोषिष में कहीं आप हेलीकाप्टर पेरेंट तो नहीं बन गए हैं? इससे आपका बच्चा परेषान तो नहीं हो गया है? सबसे पहले आपके लिए ये जानना जरूरी है कि हेलीकाॅप्टर पेरेंटिंग आखिर है क्या? दरअसल जो माता-पिता अपने बच्चे के हर काम में ज्यादा ही इन्वाॅल्व हो जाते हैं उन्हें इस श्रेणी में रखा जाता है. बच्चों के साथ सपोर्टिव होना और उनके काम में साथ देना एक अलग बात है लेकिन जब इसका दायरा बढ़ जाता है और आप बच्चों की हर छोटी से छोटी चीज को गंभीरता से लेकर उसमें खुद ही लग जाते हैं तब वो हेलिकाॅप्टर पेरेंटिंग की स्थिति बन जाती है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक हेलीकाॅप्टर पेरेंटिंग से प्रभावित बच्चे डिप्रेषन और उत्कंठा के षिकार हो जाते हैं. माता-पिता होने के नाते आप बच्चों के लिए अच्छा करने की सोचते हैं और उनके लिए ओवर-कन्सर्न हो जाते हैं ये स्थिति धीरे-धीरे आपके बच्चे को दूसरों के सामने डिप्रेस करने लगती है. 18 से 25 साल तक के काॅलेज जाने वाले 460 बच्चों पर अध्ययन किया गया. जिन बच्चों की जिंदगी में मां-बाप का दखल ज्यादा था वो अपने फैसले लेने में कम सक्षम नजर आएं. वो किसी भी सवाल का जवाब देने से पहले अपने अभिभावक की ओर देखने लगे. रिसर्च के दौरान उनसे कई टास्क भी कराए गए जिससे ये बात सामने आती है कि किसी मुष्किल हालात का सामना करने में भी ऐसे बच्चे दूसरों के मुकाबले पीछे रह जाते हैं.

इस बात को समझना बेहद जरूरी है कि माता-पिता अपने बच्चों से जिस तरह का व्यवहार करते हैं बच्चों का अपने प्रति नजरिया भी वैसे ही बनता है. अगर अभिभावक सपोर्टिव रोल अदा करते हैं तो बड़ा होता बच्चा अपनी चीजें खुद ही मैनेज करना सीखने लगता है. हेलीकाॅप्टर पेरेंटिंग से बचने का मतलब ये नहीं है कि बच्चों को हर तरह की आजादी दे दी जाए. उन्हें कम से कम इतनी छूट तो दी जानी चाहिए जिससे उनके सोचने-समझने की क्षमता को विकसित होने का मौका मिल सके. जानकारों का मानना है कि हेलीकाॅप्टर व्यवहार के पीछे सोच तो अच्छी होती है लकिन अभिभावकों को समझना होगा कि इसके नकारात्मक प्रभाव बच्चों पर ना पड़े.

डिपे्रशन में धकेलता परफेक्शन

वो माता-पिता सावधान हो जाएं जो बच्चों के हर काम में परफेक्शन ढूंढ़ते हैं. हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे बच्चों में भी डिप्रेषन की संभावना अधिक पाई गई है. ये बच्चे माता-पिता के डर से और उनके खौफ से कोई भी गलती करने से कतराते हैं. अभिभावकों द्वारा तय किए गए मानकों पर ये खरे नहीं उतर पाते हैं तो उसके लिए भी खुद को ही जिम्मेदार मानते हैं. मौजूदा समय में बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर कुछ ज्यादा ही तवज्जो दी जाने लगी है. सभी माता-पिता चाहते हैं कि सोसायटी में बच्चा दूसरे बच्चों के मुकाबले अच्छा परफाॅर्म करे. माता-पिता कि ये चाहत बच्चों पर प्रेशर बना देती है. वो बच्चों की किसी भी असफलता को स्वीकार करना नहीं चाहते हैं. इसका सारा गुस्सा वो बच्चों पर निकालते हैं. मां-बाप के गुस्से से बच्चे पहले ही इतना ज्यादा घबरा जाते हैं कि कोई काम चाह कर भी सही नहीं कर पाते हैं. गलती होने के डर से वो नई चीजों के लिए प्रयास करने से कतराते हैं. बचपन से उनके मन में बैठा ये डर उनकी आगे की जिंदगी को काफी प्रभावित करता है. न तो वो कुछ नया सीख पाते हैं और न ही कोई क्रिएटिविटी डेवलप कर पाते हैं. कुछ बच्चों में अभिभावकों के गुस्से का खौफ इतना ज्यादा रहता है कि वो गलती करने के बाद उसे स्वीकार भी नहीं करते हैं. अगर समय रहते बच्चों के प्रति आपने अपने व्यवहार में परिवर्तन नहीं किया तो ये स्थिति भयावह हो सकती है. बच्चों के कोमल मन पर आप जैसी छाप छोड़ेंगे उनका बाल मन वैसे ही आने वाले कल के लिए तैयार होगा.

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पुरुषों को भी होती है माहवारी

पुरुषों को भी होती है माहवारी

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ये पढ़कर हैरानी तो आपको जरूर हो रही होगी कि भला पुरुषों को पीरियड्स कैसे हो सकते हैं. इन बातों पर आप खुद ही पहले गौर करें कि क्या आपका पार्टनर पूरे महीने में कुछ दिन छोड़कर शांत और स्थिर रहता है क्या हर महीने वे कुछ दिन थकान या आलस महसूस करता है? क्या आपका पार्टनर अचानक छोटी-छोटी बातों को लेकर अपसेट हो जाता है? क्या वह कुछ दिनों के लिए संवेदनशील हो जाता है? अचानक से मूड स्विंग हो जाता है? कई बार वो बिना मतलब के बहस करने लगता है और अचानक शांत हो जाता है? कई बार वो ऐसे व्यवहार करता है जैसे उसे पीरियड्स हो गए हैं?

वैसे पुरुषों को भी महिलाओं की तरह हर महीने उस दिक्कत को सहना पड़ता है, ये बात एक षोध से पता चली है. इस शोध के मुताबिक इसे मेडिकल टर्म में ‘इरिटेबल मेल सिंड्रोम’ कहते हैं. इस दौरान मर्दों को पेट और कमर में दर्द, चिड़चिड़ापन, भूख ना लगना या बहुत ज्यादा खाना, गुस्सा आना जैसी चीजें होती हैं. हां, पुरूषों की महावारी में उन्हें रक्तस्राव नहीं होता लेकिन वो बहुत ज्यादा डिप्रेसिव हो जाते हैं. हालांकि शोध में कहा गया है कि हर चार में से एक पुरूष में यह होता है.

कई रिसर्च भी ये साबित कर चुकी हैं कि पुरुषों के हार्मोंस में मासिक चक्र की तरह बदलाव आता है. अगर आपका पार्टनर चिड़चिड़ा होता है, कई बार अचानक इमोशनल हो जाता है या उसमें मूड में उतार-चढ़ाव आता है तो हो सकता है कि उनका हार्मोंस बदलने का मासिक चक्र चल रहा हो. आपको इस दौरान अपने पार्टनर को समझने की जरूरत है और उसका साथ देने की जरूरत है. ऐसे समय में पार्टनर को गले से लगाएं उन्हें सहानुभूति दें. तभी वे इस हार्मोनल उतार-चढ़ाव से लड़ पाएंगे.

गौरतलब है कि इस शोध के लिए करीब 2412 लोगों पर अध्य्यन किया गया. सर्वे में कई महिलाओं ने अपने पार्टनर्स का इंटरव्यू किया, जिसमें उनके पार्टनर ने कई ऐसी कंडीशंस के बारे में बताया जो आमतौर पर मासिक धर्म से संबंधित हैं थकान, संवेदनशीलता, एंजाइटी मूड बदलना जैसे लक्षण.

इस सर्वे में भाग लेने वाली तकरीबन 45 फीसदी महिलाओं का कहना था कि उन्होंने हर महीने के कुछ दिनों में अपने पार्टनर्स में ये लक्षण देखें हैं.

तकरीबन 50 फीसदी महिलाओं ने ये स्वीकार किया कि उनके पति पीरियड्स के दौरान यानी हार्मोंस बदलाव के दौरान चिड़चिड़े हो जाते हैं.

कई महिलाओं ने ये भी माना कि उनके पति हर महीने के कुछ दिन काफी ज्यादा थकान महसूस करते हैं. जबकि कईयों ने माना कि उनके पति हर महीने के कुछ दिन बहुत अधिक भूख महसूस करते हैं. साथ ही कुछ ने माना कि उनके पति अचानक अपसेट हो जाते हैं और उनका मूड बहुत जल्दी-जल्दी बदलता है.

‘इरिटेबल मेल सिंड्रोम’ के लक्षणों में कन्यूजन, सेक्स इच्छा में कमी, एंजाइटी, थकान, गुस्सा आना, डिप्रेशन, मूड बदलना और सुस्ती आना जैसे लक्षण शामिल है. आमतौर पर वही महिलाएं पुरुषों के इन लक्षणों को पहचान सकती हैं जो उनके बेहद करीब हैं. अध्ययन के दौरान पता चला कि पीड़ित मर्दों की महिला साथियों ने यह माना कि पुरुष माहवारी जैसी चीज सच में होती है जिनके बारे में उनके पार्टनर्स को पता ही नहीं होता है.

रिसर्च ने ये भी दावा किया कि पुरुष हार्मोंस बदलने के दौरान हर घंटे में हार्मोंस स्तर में बदलाव को महसूस कर पाते हैं. टीनेज, युवावस्था और मिड लाइफ में ये बदलाव बहुत अधिक महसूस होता है. बाकी उम्र के पड़ाव में पुरुषों को ये कम ही महसूस होता है.

अब तो आप समझ गए होंगे पुरुषों में होने वाली माहवारी महिलाओं से थोड़ी अलग होती है. जिस तरह पुरुष आपका साथ देते हैं आपको भी उस दौरान उन्हें बहुत प्यार देना चाहिए.

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फयूजन रेसिपी सत्‍तु की लिटटी / fution recipe litti-chokha

फयूजन  रेसिपी सत्‍तु की लिटटी / fution  recipe litti-chokha

litti chokha

बिहार की मश्‍हूर रेसिपी sattu ki litti आज ग्‍लोबल recipe  हो गई है। देश में ही नहीं विदेशों में भी लोग इस रेसिपी को बहुत पसंद करते हैं। इसलिए इस रेसिपी में रोज नए प्रयोग हो रहे हैं। बेक लिटटी से लेकर  fution litti आज चलन में है।

सामग्री

चने की सत्‍तु 250 ग्राम, लहसुन की कलियां 6, बारीक कटा प्‍याज 1, अदरख छोटा आधा चम्‍मच, सरसों का तेल एक बडा चम्‍मच, आजवाइन अंदाज से, एक नींबू का रस, हरी मीर्च बारीक कटी हुई 1 छोटा चम्‍मच, सख्‍त गुंधा आटा आधा किलो, नमक अंदाज से, तलने के लिए रिफाइन या घी

विधि

चने की सत्‍तु में सभी सामग्री को मिलाकर पानी का छिंटा मारकर थोडा नरम कर लें। अब इसे आटे के छोटी छोटी लोई बनाकर भरें; और चपटा करके अलग रख लें। अब एक पतेली में पानी गरम करें और एक एक कर सभी लाई को उबलते पानी में डाल दें। पांच मिनट बाद सभी को बारी बारी से निकाल कर पानी निथरने के लिए अलग रखें। जब पानी निथर जाए तो एक एक कर सभी को गर्म तेल में तल लें। टिश्‍यू पेपर में रखते जाएं; इसे आलू, टमाटर और बैगन के चोखे के साथ सर्व करें।

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OMG… बेपर्दा हो गई दीपिका पादुकोण

OMG… बेपर्दा हो गई दीपिका पादुकोण

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पिछले हफ्ते दीपिका पादुकोण के साथ वही हुआ, जिसकी कल्‍पना से हर लड़की डर जाए. जी हां, दीपिका का गाउन सरेराह फिसल गया. फिर क्‍या था, दीपिका ने तुरंत उसे संभाला पर घटना की तस्‍वीरें कैमरे में कैद हो गईं. अब सोशल मीडिया में ये खूब वायरल हो रही हैं.

खबरों की मानें तो ये सब हुआ xXx: द जेंडर केज के प्रीमियर के दौरान. पिछले हफ्ते इस फिल्‍म के प्रीमियर के लिए दीपिका, विन डीजल के साथ भारत आईं थीं. प्रीमियर से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी गई थीं. बस इसी के लिए जब दीपिका तैयार होकर निकलीं तो उनके साथ ये हो गया…

दरअसल, प्रीमियर के लिए दीपिका ने डिजाइनर नईम खान का गोल्डन कलर का गाउन पहना था. उनका मेकअप और हेयरस्टाइल उनके लुक को कॉम्पलिमेंट कर रहा था. सब कुछ ठीक था. लेकिन कॉन्‍फ्रेंस में पहुंचने से पहले ही दीपिका का गाउन फिसल गया और जो हुआ वो आप इस तस्‍वीर में देख सकते हैं।

दीपिका ने उसे जल्‍दी ठीक किया और वे कॉन्‍फ्रेंस में पहुंची।

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Best Dress Bollywood Celebrity – फिल्मफेयर अवॉर्ड्स

Best Dress Bollywood Celebrity – फिल्मफेयर अवॉर्ड्स

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फिल्‍म फेयर अवार्ड सिर्फ फिल्‍मों के हार जीत का फैसला नहीं करता बल्कि आने वाले दिनों में कौन सा स्‍टाइल इन होगा इसका भी फैसला करता है इसलिए बॉलीवुड सेलीब्रिटी अवार्ड से ज्‍यादा अपने कपडों को लेकर ज्‍यादा जागरूक रहते हैं क्‍योंकि स्‍टाइल का मामला जो है।

साल की मोस्ट अवेटिड नाइट फाइनली आ ही गईं जहां सभी सितारों का जमघट लगा. रविवार की शाम बॉलीवुड ही हसीनाओं ने अपनी हुस्न की अदाओं से कहर ढाया. जी हां, मौका था बॉलीवुड के सबसे बड़े अवॉर्ड शो फिल्मफेयर अवॉर्ड्स का. 62 वें जियो फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में बॉलीवुड के सितारों ने समां बांधा. हम आपको बता रहे हैं उन टॉप हीरोइनों के बारे में जिनके लुक, स्टाइल और ड्रेस के कारण लोगों की नजरें उन पर टिकी रहीं. . इस लुक में वे बेहद सुंदर लग रही थीं.

आलियाभट्ट- आलियाभट्ट ने सिर्फ उड़ता पंजाब फिल्म के लिए बेस्ट फीमेल एक्टर का अवॉर्ड ही नहीं जीता बल्कि आलिया ने रेड कार्पेट पर अपनी क्लासी च्वॉटइस से सबका दिल भी जीत लिया. आलिया ने भारी-भरकम प्रबल गुरुंग गाउन पहना था जिसमें बेस्ट लुक के लिए अनमोल की सिंपल ज्वैलरी पहनी हुई थीं.

परिणीती चोपड़ा- अपनी बड़ी बहन प्रियंका चोपड़ा के नक्शे कदम पर चलते हुए परिणीती चोपड़ा ने फिलीपिन डिजाइनर मार्क बमगार्नर का डिजाइन किया हुआ पिंक गाउन पहना हुआ था जो इस शाम में चार चांद लगा रहा था. परिणीती का ये गाउन सबको आकर्षित कर रहा था

शिल्पा शेट्टी- 41 वर्षीय शिल्पा शेट्टी ने मनीष मल्होत्रा की डिजाइन की हुई यैलो ड्रेस पहनी थी. इस ड्रेस में शिल्पा की थाई साफ नजर आ रही थीं. शिल्पा का किलर लुक उनकी उम्र को बहुत पीछे धकेल रहा था.

जैकलीन फर्नांडिस- जैकलीन ने वन शोल्डर ग्रे ग्राउन पहना था जो बॉलीवुड की सबसे सेफेस्टे और कंफर्टेबल ड्रेस है.

सोनम कपूर- हमेशा की तरह एकदम अलग लगने वाली सोनम कपूर भी व्हाइट शीर गाउन में बेहद सुंदर लग रही थीं.

श्रीदेवी- श्रीदेवी ऐसी एक्ट्रेस हैं जिनकी उम्र का कभी अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. रेड कार्पेट पर श्रीदेवी ने ब्लैक शीर गाउन पहना था. इसमें वे बहुत खूबसूरत लग रही थीं.

कल्कि ने अपने बोल्ड अवतार की वजह से लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया. कल्कि ने निखिल थंपी की डिजाइन की हुई ब्रोंज लेम गाउन को इस शो के लिए चुना.

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paneer tikka masala recipe

paneer tikka masala recipe

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सामग्री:

  • पनीर – 250 ग्राम
  • दही – 100 ग्राम (आधा कप)
  • नमक – स्वादानुसार (3/4 छोटी चम्मच)
  • काली मिर्च – आधी छोटी चम्मच
  • मक्खन या घी – 2 टेबल स्पून
  • जीरा पाउडर – 1/2 छोटी चम्मच
  • अदरक – 1/2 इंच (पेस्ट बना लें)
  • शिमला मिर्च – 1
  • टमाटर – 2-3
  • चाट मसाला – 1 छोटी चम्मच
  • लाल मिर्च पाउडर – एक चौथाई छोटी चम्मच से कम (यदि आप चाहें)
  • हरा धनिया – 2 टेबल स्पून (बारीक कटा हुआ)
  • नीबू – 1 (चार टुकड़े कर लें)

बनाने की विधि

सबसे पहले पनीर के बड़े-बड़े चौकोर टुकड़े कर लीजिये और दही को फेंट कर उसमें नमक, काली मिर्च, आधा अदरक का पेस्ट व पनीर के टुकड़े मिलाकर आधे घंटे के लिये ढककर रख दीजिये।

उसके बाद दही से पनीर के टुकड़े निकाल कर प्लेट में रख लीजिये और प्लेट को 1-2 घंटे के लिये फ्रिज में रख दीजिये।

अब शिमला मिर्च को धोकर उसके बीज निकाल दीजिये और शिमला मिर्च के पतले-लंबे टुकड़े काट लीजिये। टमाटर को भी धोकर गोल व पतला-पतला काट लीजिये।

अब किसी नॉनस्टिक कढ़ाई या तवे में मक्खन डाल कर गर्म कीजिये और फिर उसमें 6-7 पनीर के टुकड़े डाल कर धीमी गैस पर दोनों तरफ से हल्का ब्राउन होने तक तल कर निकाल लीजिये। पनीर के सभी टुकड़ों को इसी तरह सेक कर प्लेट में निकाल लीजिये।

अब कढ़ाई में जो मक्खन बचा है उसमें जीरा पाउडर, अदरक का पेस्ट व शिमला मिर्च डालिये चमचे से चलाइये और धीमी गैस पर 1 मिनट तक ढककर पकाइये। अब इसमें टमाटर, पनीर के तले हुए टुकड़े, चाट मसाला और लाल मिर्च पाउडर डाल कर सभी को अच्छी तरह मिला लीजिये और करीब 1 मिनट तक लगातार चलाते रहिये। paneer tikka masala तैयार है।

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आखिर क्यों घूरते हैं लड़के

आखिर क्यों घूरते हैं लड़के

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लड़कियों को घूरने की आदत सदियों पुरानी है। कई लड़के पास से गुजर रही लड़की को तब तक देखते रहते हैं, जब तक कि वह उनकी आंखों से ओझल नहीं हो जाती।

आमतौर पर लड़कियां यही मानती हैं कि लड़कों की नजर बस उनके फिगर पर रहती है, लेकिन यह आधा सच है। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ नेब्रास्का-लिनकॉल्न के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया है कि लड़के सिर्फ फिगर देखकर ही लड़कियों के प्रति आकर्षित नहीं होते।

उदाहरण के लिए कुछ ऐसे भी पुरुष होते हैं, जिन्हें महिलाएं कितनी ही खूबसूरत क्यों न हों, उन्हें तब तक नहीं भातीं जब तक वो उनके स्वभाव से परिचित नहीं हो जाते। यूं तो महिलाओं की कई खूबियां पुरुषों को खूब लुभाती हैं, लेकिन कई चीजें ऐसी भी होती हैं, जो उन्हें उनसे दूर कर सकती हैं। इसलिए पुरुषों की भावनाओं को लेकर महिलाएं किसी भी प्रकार की गलतफहमी में न रहें।

 

 

आपका बॉयफ्रेंड वुमनाइजर तो नहीं !

आपका बॉयफ्रेंड वुमनाइजर तो नहीं !

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एक अच्छी रिलेशनशिप आपकी जिंदगी को खुशियों से सराबोर कर देती है। आपको सबकुछ अचानक से काफी अच्छा लगने लगता है। पर क्या आप इस बारे में कंफर्म हैं कि आपका बॉयफ्रेंड आपको लेकर सीरियस है? अगर वह सीरियस नहीं है तो उससे तुरंत छुटकारा पाना ही आपके लिए अच्छा होगा। ऐसे लड़कों को कमिटेड रिलेशनशिप में रहना नहीं भाता और वे कई पार्टनर्स के साथ रिलेशनशिप में होते हैं। हम आपको बता रहे हैं ऐसे लड़कों को पहचानने के तरीके:

क्या वह बहुत दिखावा करता है यह सबसे आसान तरीका है अपने बॉयफ्रेंड की हकीकत जान लेने का। अगर वह हर चीज को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है, अपनी गाड़ी और अपने रुतबे का बार-बार अहसास दिलाता है तो ऐसे बंदे से किनारा करने में ही आपकी भलाई है।

जैसा कहता है, वैसा करता नहीं वह वैसे तो आपके साथ रहता है, आपके साथ जीने-मरने की कसमें खाता है, मगर जब बारी अपने किसी फैमिली मेंबर से मिलाने की आती है तो उसकी घिग्घी बंध जाती है। अगर आपका बॉयफ्रेंड भी ऐसा ही है, तो यकीन मानिए वह आपको लेकर जरा भी सीरियस नहीं है। अगर अभी तक आपने यह बात न आजमाई हो, तो एक बार जरूर आजमा लीजिए।

केवल रात को ही मिलना चाहता है: अगर आपका बॉयफ्रेंड आपके साथ सिर्फ रात को ही वक्त बिताना चाहता हो, और कभी लंच या फिर शॉपिंग पर जाने की बात नहीं करता हो, तो वह भरोसे के काबिल नहीं है। हमारे ख्याल से आपको एक बार फिर से अपने रिश्ते के बारे में सोचने की जरूरत है।

तारीफ की हद कर देता है: जब भी किसी महिला की तारीफ की जाती है, तो जाहिर सी बात है उसे अच्छा लगता है। मगर आप अपने पर ध्यान दीजिए, कहीं वह हर बार मिलने पर आपकी तारीफें करते थकता नहीं, आपके फीगर, आपके कपड़ों और आपके व्यक्तित्व की जरूरत से ज्यादा तारीफ करता है.. अगर ऐसा है, तो बहुत मुमकिन है कि वह एक वुमनाइजर है।

मिलने के बाद कभी कॉल नहीं करता:

आप उस लड़के से मिलीं और उसके साथ 1-2 दिन बित चुके हैं, और वह अचानक आपकी जिंदगी से गायब हो जाता है, अगर ऐसा है, तो आप समझ ही गई होंगी हम क्या कहना चाहते हैं। आपको अपना बॉयफ्रेंड चुनते वक्त बेहद सावधान रहने की जरूरत है। अगर कोई लड़का ऐसी हरकतें करता है, तो समझ जाइए कुछ गड़बड़ है।

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आखिर इतना महत्‍व क्‍यों है पटना साहिब का

आखिर इतना महत्‍व क्‍यों है पटना साहिब का

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सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह के 350वें प्रकाशोत्सव पर आयोजित कार्यक्रम में पीएम नरेन्द्र मोदी भी शामिल होंगे। इस मौके पर पटना के सभी गुरुद्वारों को बड़े ही आकर्षक ढंग से सजाया गया है। इस प्रकाशोत्सव को लेकर तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब के दर्शन के लिए सिख श्रद्धालु देश – विदेश से पहुंच रहे हैं।

पटना साहिब का सिख पंथ के मानने वालों में विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि सिखों के दसवें और अंतिम गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर 1666 ई. में पटना में हुआ था। गुरु गोबिंद सिंह को लोग सर्वन्सदानी भी कहते है। गुरु गोबिंद सिंह एक ऐसे संत थे जिन्हें एक साथ सैनिक और संत कहलाने का सौभाग्य प्राप्त था। 29 मार्च 1676 ई. को गोबिंद सिंह सिखों के गुरु बने और 1708 तक इस पद पर बने रहे। वोह सिखों के सैनिक संगति और खालसा के सृजन के लिए जाने जाते हैं।

श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब का निर्माण महाराजा रणजीत सिंह द्वारा करवाया गया है। जिस समय गुरु गोबिंद सिंह का जन्म वर्तमान के तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब में हुआ था, उस समय उनके पिता व नवम् गुरु तेग बहादुर जी गुरु मिशन की प्रचार के लिए धुबड़ी असम की यात्रा पर गए थे। नवम् गुरु की पत्नी माता गुजरी गर्भवती थीं।

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गुरु श्री गोविन्द सिंहजी के 350 वें प्रकाशउत्सव पर सभी देशवासियों को बधाइयां. देश को देशहित के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करदेने वाली एक कौम देने के लिये यह देश उनका सदा अभारी रहेगा. आज मोदीजी का उनके जन्मस्थल पर जाकर उनका स्मरण् करना देश के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण संदेश है.

जहां गुरु गोबिंद सिंह का जन्म हुआ, वहां सलिसराय जौहरी का आवास होता था, जो सिख पंथ के संस्थापक गुरु नानक देव जी महाराज का भक्त था। श्री गुरु नानक देव जी भी यहां आए थे। जब गुरु साहिब यहां पहुंचे तो जो डेउहरी लांघ कर अंदर आए वह अभी तक मौजूद है। बाल गोबिंद राय (गुरु गोबिंद सिंह के बचपन का नाम) यहां छह साल की आयु तक रहे। बहुत संगत बाल गोबिंद राय के दर्शनों के लिए यहां आती थी। माता गुजरी जी का कुआं आज भी यहां मौजूद है।

पटना हरिमंदिर साहिब में आज भी गुरु गोबिंद सिंह की वह छोटी पाण है, जो बचपन में वे धारण करते थे। इसके अलावे आने वाले श्रद्धालु उस लोहे की छोटी चकरी को, जिसे गुरु बचपन में अपने केशों में धारण करते थे तथा छोटा बघनख खंजर, जो कमर-कसा में धारण करते थे, को देखना नहीं भूलते। गुरु तेग बहादुर जी महाराज जिस संदल लकड़ी के खड़ाऊं पहना करते थे, उसे भी यहां रखा गया है, जो श्रद्धालुओं की श्रद्धा से जुड़ा है।

पीएम नरेन्द्र मोदी ने गुरु गोबिंद सिंह की 350वीं जयंती पर आयोजित प्रकाश पर्व में शामिल होने के लिए पटना रवाना होने से पहले ट्वीट कर कहा, ‘गुरु गोबिंद सिंह जी अदम्य साहस और अद्भुत ज्ञान से परिपूर्ण थे। उनकी बहादुरी प्रत्येक भारतीय के दिल और दिमाग में बसी हुई है।

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