बेबी फैक्ट्री

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पिछले दिनों दिल्ली में एक बच्चे के जन्म ने सबको आष्चर्य में डाल दिया. क्योंकि बच्चे के पिता की मौत उसके जन्म से 5 साल पहले हो चुकी थी. इस राज से जब उसकी डॉक्टर मां ने पर्दा उठाया तो सभी की आंखें नम हो गई. आज से पांच साल पहले डॉक्टर दंपत्ति यह डिसाइड नहीं कर पा रहे थे कि वो कब फैमिली प्लान करेंगे ऐसे में उनकी पत्नी ने समझदारी दिखाई और उन्होंने अपने पति के अंडाणुओं को जमा (फ्रीज) करवाया. ताकि जब वह फैमिली प्लान करें तो बच्चा स्वस्थ पैदा हो. अपने पति की उम्र ज्यादा होने के कारण उन्होंने यह फैसला लिया. लेकिन डेस्टिनी को कुछ और मंजूर था. एक रोड एक्सिडेंट में डॉक्टर की मौत हो गई. पत्नी ने बहुत टफ डिसिजन लिया और फ्रीज किए गए अंडाणुओं से मां बनी और 9 महीने बाद उन्होंने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया.

इस बारे में नई दिल्ली के इंदिरा आई.वी.एफ. के एक्सपर्ट डॉ. अरविन्द वैद बताते हैं कि कई बार विवाहित जोड़े आर्थिक तौर पर स्थिर न होने के कारण या एक सहज स्थिति तक पहुंचने के बाद ही घर में नए सदस्य को लाना चाहते हैं. ऐसे लोग भी इस तकनीक को चुन सकते हैं. इसके अलावा अंडाणुओं को शुरू में या समय से पहले ही सुरक्षित कर लेना ज्यादा फायदेमंद है. उम्र महत्वपूर्ण है क्योंकि अंडाणु 30 की उम्र में शीर्ण होने लगते हैं. इसके अलावा प्रजनन क्षमता भी उम्र के साथ घटने लगती है. अंडाणुओं को रजोनिवृत्ति से ठीक पहले जमा नहीं किया जा सकता इसलिए सावधान रहें क्योंकि आप अपने युवाकाल को पार कर चुके हैं इसलिए अच्छी गुणवत्ता के अंडाणुओं की गारंटी नहीं दी जा सकती.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखें तो एग फ्रीजिंग एक ऐसा मार्ग है जिसे सोफिया वरगारा और किम कर्दाशियां जैसी हॉलीवुड हस्तियों ने अपनाया है. भारत में डायना ने एक उदाहरण स्थापित किया है. हालांकि भारत में अभी भी एग फ्रीजिंग की यह तकनीक सामान्य नहीं है लेकिन धीरे-धीरे यह तकनीक लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर रही है. साथ ही ज्यादातर महिलाओं के करियर उन्मुख होने के कारण यह ट्रेंड अब धीरे-धीरे अपनी जगह बना रहा है.

क्या है एग फ्रीजिंग?
एग फ्रीजिंग जिसे परिपक्व अंडाणु निम्नताप परिरक्षण के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका प्रयोग महिलाओं की प्रजनन क्षमता को सुरक्षित करने के लिए किया जाता है.
आपके अंडाशय से अंडाणुओं को एकत्रित कर अनिषेचित अंडाशयों को जमाया जाता है और बाद में इस्तेमाल करने के लिए संग्रहित कर रख लिया जाता है. इस तकनीक के दौरान इन्हें 1.96 डिग्री सेल्सियस तापमान पर लिक्विड नाइट्रोजन में दस साल तक के लिए संग्रहित कर रखा जा सकता है. कुछ हद तक यह डीप फ्रीज करने जैसा है.
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन में एक जमे हुए अंडाणु को पिघलाया जाता है फिर प्रयोगशाला में उसे शुक्राणु के साथ मिलाकर गर्भाशय में स्थापित किया जाता है.

समझें इस तकनीक को
यह प्रक्रिया आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) से मिलती-जुलती है. इसके तहत पेषेंट को 10 से 12 दिन तक होर्मोनल इंजेक्शन दिए जाते हैं ताकि उसका अंडाशय उत्तेजित हो सके और सामान्य से ज्यादा अंडाणु बनाए और विकसित करे. इस प्रक्रिया के दौरान मरीज को रजोनिवृत्ति जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं. साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए कि उसका अंडाशय खतरनाक तरीके से अधिक उत्तेजित न हो जाए इसके लिए उसकी निगरानी भी की जाएगी.
इसके बाद उसके अंडाणु को सामान्य एनेस्थीसिया या दर्द दूर करने वाली दवा देकर पुनः प्राप्त किया जाता है. इसके लिए अल्ट्रासाउंड निर्देशित एक सुई का इस्तेमाल किया जाता है जो प्रत्येक कोश (फॉलिकल) से अंडाशय को खींच लेती है.

जब एक महिला अपने जमाए हुए अंडाशयों का इस्तेमाल करने के लिए तैयार होगी तब उन्हें गर्म किया जाएगा और शुक्राणु के साथ भीतर पहुंचाकर निषेचित होने के लिए छोड़ दिया जाएगा. सफल होने पर प्रक्रिया के परिणामस्वरूप दो से तीन प्रयासों में बनने वाले भ्रूणों को महिला के गर्भाशय में इस उम्मीद के साथ छोड़ा जाएगा कि इससे वह गर्भधारण कर सकेगी.

अंडकोषीय रिजर्व की जांच
महिलाओं की उम्र 30 साल होने के बाद उनकी प्रजनन क्षमता क्षतिग्रस्त होने लगती है. उनके अंडकोषीय रिजर्व में काफी गिरावट आ जाती है इसलिए यह बेहद जरूरी है कि अंडाशय का परीक्षण करवाया जाए. ये जांच महिलाओं का मार्गदर्शन करती हैं कि क्या उन्हें बांझ होने से बचाने के लिए कोई गंभीर कदम उठाया जाना चाहिए या देर होने से पहले सही कदम उठाने की जरूरत है. एक महिला एग फ्रीजिंग के परिणामों को ध्यान में रखकर इस तकनीक को अपना सकती है जिससे कि वह बाद में मातृत्व सुनिश्चित कर सके.

सफलता दर
यह देखा गया है कि फ्रोजन एग द्वारा हासिल किए गए गर्भावस्था की सफलता दर नए अंडाणुओं द्वारा प्राप्त की गई गर्भावस्था के बराबर ही है.
कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपनी महिला कर्मचारियों को एग फ्रीजिंग तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं ताकि बढ़ती उम्र का प्रभाव उनके करियर पर न पड़े और इस कारण से मातृत्व के सुख से वंचित हो जाने का डर भी उन्हें न परेशान करे.
पिछले कई सालों में संग्रहित करने की तकनीकों में काफी सुधार आया है इसलिए सफलता की दरें भी काफी बढ़ी हैं. आने वाले समय में मातृत्व जल्द ही बायोलॉजिकल क्लॉक की बंदिश से स्वतंत्र हो पाएगी.