धनतेरस पर राशि के अनुसार खरीदें चीजें

धनतेरस पर राशि के अनुसार खरीदें चीजें

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दिवाली और धनतेरस पर सभी लोग जमकर खरीददारी करते हैं। कहा जाता है कि धनतेरस या धन त्रयोदशी के मौके पर कुबेर, यम की पूजा की जाती है। इस दिन सोना, चांदी की खरीदारी काफी शुभ मानी जाती है। मान्यता है कि धनतेरस पर की गई किसी भी वस्तु की खरीदारी में तेरह गुना वृद्धि होती है। लेकिन अ राशियों के अनुसार अलग -अलग चीजों को खरीदा जाएं तो निश्चय ही  लाभ होता है और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

मेष: धनतरेस पर मेष राशि वालों को चांदी के बर्तन और इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदना बेहद शुभ रहेगा। इस दिन कुछ न कुछ चांदी और इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदना चाहिए।

वृष: धनतरेस पर वृष राशि वाले अगर कपड़े खरीदेंगे तो उनके लिए बेहद शुभ रहेगा। इसके अलावा चाँदी या तांबे के बर्तन खरीदने से भी उन्हें फायदा होगा।

मिथुन: मिथुन राशि वालों को इस दिन सोने के आभूषण, हरे रंग के घरलू सामान जैसे पर्दा खरीदना अच्छा रहेगा।

कर्क: कर्क राशि वालों को चांदी के आभूषण, घरेलू इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदना अच्छा रहेगा।

सिंह: सिंह राशि वाले अगर धनतेरस के दिन तांबे के बर्तन, कपडे, और सोने की कोई चीज जरूर खरीदनी चाहिए।

कन्या: कन्या राशि वालों को धनतेरस के दिन मरगज की श्री गणेश की मूर्ति या सोने के आभूषण खरीदना अच्छा रहेगा।

तुला: तुला राशि वाले अगर कपड़े, सौंदर्य सामान या सजावटी सामान और चांदी की कोई चीज खरीदेंगे तो उन्हें फायदा होगा।

वृश्चिक: धनतेरस के दिन अगर वृश्चिक राशि वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और सोने के आभूषण खरीदेंगे तो उन्हें मां लक्ष्मी की कृपा मिलेगी।

धनु: धनु राशि वालों को इस दिन सोने के आभूषण या तांबे के बर्तन खरीदने चाहिए।

मकर: मकर राशि वालों को धनतेरस के दिन कपड़े, वाहन, चांदी के बर्तन या आभूषण खरीदना बेहद शुभ होता है।

कुम्भ: कुम्भ राशि वाले अगर धनतेरस के दिन सौंन्दर्य के सामान, स्वर्ण, फुटवियर (जूते-चप्पल) खरीदेंगे तो उन्हें लाभ होगा।

मीन: धनतेरस के दिन मीन राशि वालों को सोने के आभूषण, चांदी के बर्तन और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जरूर खरीदने चाहिए।

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खरीदारी का शुभ मुहुर्त/dhanteras-puja-2016

खरीदारी का शुभ मुहुर्त

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दिवाली यानि की दीपावली से पहले आने वाला पुष्य नक्षत्र इस त्योहार में खरीदारी के लिए बहुत शुभ माना जाता है। अगर यह नक्षत्र सोमवार, गुरुवार और रविवार को आता है तो यह नक्षत्र ज्यादा फलदायी होता है। इस साल कार्तिक अमावस्या से पहले पुष्य नक्षत्र दो दिन का पड़ रहा है। इस दिन आपकों अपने आराध्य देव और कुलेदवता की पूजा करनी चाहिए। इस पूजा से मां लक्ष्मी बेहद प्रसन्न होती है और आपके घर में धनवर्षा होती है।

पुष्य नक्षत्र के दिन नए बही-खातों और लिखापठी की चीजों को शुभ मुहूर्त में खरीद कर उन्हें व्यापारिक प्रतिष्ठान में स्थापित करना चाहिए। साथ ही सोना-चांदी, बहुमूल्य रत्न, ज्वैलरी आदि भी खरीदना शुभ होता है।

धनतेरस पर ये हैं खरीदारी के शुभ मुहूर्त
धनतेरस इस साल 28 अक्टूबर के दिन यानी शुक्रवार को है। बता दें कि 27 अक्टूबर शाम 4 बजकर 17 मिनट त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ हो जायेगी, जो 28 अक्टूबर सांय 6 बजकर 30 मिनट तक रहेगी। धनतेरस पर खरीदारी करने का पहला शुभ मुहूर्त 27 अक्टूबर शाम 5 बजकर 40 मिनट से रात 08 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। जबकि 28 अक्टूबर को खरीदारी का दूसरा शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 37 मिनट से रात 10 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। अगर आप नया काम शुरू करने जा रहे हैं तो इसके लिए शुभ मुहूर्त 28 अक्टूबर के दिन सुबह 09 बजकर 05 मिनट से शाम 04: 15 मिनट तक रहेगा।

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ग्रीन दिवाली/green diwali

 

 

 

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इस दिवाली कागज के या फिर कपड़ें के फूलों से घर को सजाने से अच्छा है कि ओरिजनल फूलों से घर को सजाया जाए। आर्टिफिशियल फूल पर्यावरण के लिए हानिकारक होते हैं। वहीं ओरिजनल फूल न केवल घर को खुशबू से महकाते हैं बल्कि इनकी ताजगी से मन भी खुश हो जाता है। ओरिजनल फूलों से रंगोली भी बनाई जा सकती है।

मिट्टी के दिए जलाएं

इस दिवाली जितना हो सके 3- से 4 दिन मिट्टी के दिए जलाएं। इससे मिट्टी के दिए बनाने वाले को तो सहारा मिलेगा ही साथ ही इस त्योहार की परंपरा का भी पालन होगा।green diwali

पौधें गिफ्ट करें

इस दिवाली अगर किसी को गिफ्ट करना चाहते हैं तो हर्बल प्रॉडक्ट जैसे हाथों से बनी कैंडल, आर्गेनिक गिफ्ट बास्केट या फिर पौधें गिफ्ट कर सकते हैं।green diwali

इस दिवाली दूसरों को भी दे खुशिया

आप अपने यहां काम करने वाले से शुरूआत कर सकते हैं। सभी लोग अपना पुराना सामान बाहर निकालते हैं। इसलिए इस पुराने सामान जैसे कपड़े, जूते को उन लोगों को दें दें जिनको इनकी बेहद जरूरी है।green diwali

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प्रक़ति ने बनाई हर अंग जैसा फ्रूट्स

प्रक़ति ने बनाई  हर अंग जैसा फ्रूट्स

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कई बार अखरोट को देखकर मन में यह सवाल उठता था कि ऐसी क्या बात है इस फ्रूट्स में जो ब्रेन को सिर्फ न्यूट्रिशन ही नहीं देता बल्कि उसके मिलता जुलता भी है. हाल ही में वैज्ञानिकों ने इस रहस्य से पर्दा उठाया है. कई सालों के षोध के बाद उन्होंने बताया कि शरीर के किसी अंग की आकृति से मिलते-जुलते फूड का सेवन उस अंग के लिए फायदेमंद होता है. हालांकि उसमें मौजूद विटामिन्स, प्रोटीन्स और मिनरल्स हर तरीके से सेहत को फायदा पहुंचाते हैं लेकिन उस खास अंग को खासतौर से. हमारे आसपास ऐसी बहुत सारी चीजें हैं जिनका सेवन करके लगभग बॉडी के हर पार्ट्स को हेल्दी रखा जा सकता है.

ब्रेन फूड है अखरोट

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देखने में यह ब्रेन (मस्तिष्क) का छोटा रूप लगता है. इसमें मौजूद ओमेगा- 3 फैटी एसिड ब्रेन के लिए बेहतर माना गया है. अखरोट में फैटी एसिड लिनोलिक और लिनोलेनिक एसिड के अलावा विटामिन ई, बी2, प्रोटीन, फोलेट, फाइबर और कई सारे मिनरल्स जैसे फॉस्फोरस, पोटैशियम और सेलेनियम भी पाया जाता है जो सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं.

हार्ट के चैंबर की तरह है टमाटर

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टमाटर को अगर आप काटते हैं तो आपको उसके अंदर मनुष्य के हार्ट की तरह चार चैंबर नजर आते हैं. टमाटर में मौजूद विटामिन्स ब्लड प्यूरिफायर का काम कर हार्ट को हेल्दी रखते हैं. इसके अलावा टमाटर में कैल्शियम और फॉस्फोरस भी मौजूद होता है. टमाटर का खट्टा स्वाद इसमें पाए जाने वाले साइट्रिक एसिड और मैलिक एसिड के कारण होता है. एंटी-ऑक्सीडेंट के खजाने टमाटर में विटामिन ए, सी, फोलिक एसिड और बीटा कैरोटीन की मौजूदगी हार्ट के लिए बहुत ही अच्छे माने जाते हैं. इसका लाइकोपीन तत्व स्ट्रोक की संभावनाओं को 65 प्रतिशत तक कम करता है.

गाजर में दिखता है आंखों का षेप

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इसके स्लाइस करने पर उनमें आंखों का शेप नजर आता है. यह आंखों को हेल्दी रखने वाले विटामिन-ए का बहुत ही अच्छा स्रोत होता है. गाजर के रस में विटामिन ए, बी, सी, डी, ई, जी और के पाए जाते हैं. एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर गाजर आंखों के सेल और रेडिकल्स की डैमेजिंग को रोकता है. बीटा केरोटीन की मौजूदगी कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को दूर रखती है. इम्यूनिटी सिस्टम को स्ट्रॉन्ग बनाने के साथ ही आंखों की रोशनी को भी बनाए रखता है और मोतियाबिंद, भेंगापन की समस्या को भी कम करता है.

 रूबार्ब की डंठल हड्डी की तरह नजर आती है

इस पौधे की डंठल हड्डी की तरह नजर आती है. इसमें मौजूद तत्व हड्डियों के बनने और उनकी मजबूती में मदद करते हैं. भोजन में कैल्शियम की अच्छी-खासी मात्रा शामिल करनी चाहिए. सिर्फ एक कप रूबार्ब से 105 मिग्रा कैल्शियम मिलता है जो डेली कैल्शियम की जरूरत को कई गुना तक पूरा करता है.

 किडनी बीन्स है किडनी का बॉडीगार्ड

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अंग्रेजी में किडनी बीन्स कहलाने वाली यह सब्जी ब्लड प्रेशर और शुगर को मेंटेन कर किडनी की रक्षा करती है। इसमें बहुत ज्यादा मात्रा में आयरन मौजूद होता है जो बॉडी को एनर्जी देता है। विटामिन के और फाइबर के साथ इसमें प्रोटीन की अधिकता पाई जाती है। राजमा में फॉस्फोरस, पोटैशियम, प्रोटीन और मैग्नीशियम होता है जो किडनी के सही फंक्शन के लिए बहुत ही जरूरी माना गया है। क्रोनिक किडनी डिसीज से परेशान मरीजों को इसका सेवन जरूर करना चाहिए।

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गुस्सा अभिशाप नहीं, वरदान है /Anger is Good For You

गुस्सा अभिशाप नहीं, वरदान है

Women angry on her boyfriend                                        –

‘‘गुस्सा’’ जिसे हमारा समाज इंसान की कमजोरी, बेवकूफी, पागलपन या गंवारपन समझता है, वास्तव में हमारे लिए अभिशाप नहीं, वरदान है । गुस्सा भी प्यार, ममता, स्नेह और दया जैसी ही एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है, जो हमें सहज और स्वस्थ बनाये रखती है । यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए उतना ही जरूरी है, जितना कि शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आहार ।

पर हम इस बात को मानने और समझने से मुंह चुराते हैं, क्योंकि हम सभ्यता का मुखौटा चढ़ाये हैं । सभ्यता का तकाजा यही है कि हम सदा प्रसन्नचित्त, विनम्र और मृदुभाषिणी बने रहें । भले ही अन्दर से हम जल-भुन कर कवाब हो रहे हों, मगर हमारे सौम्य मुखमंडल पर एक सहज मुस्कान और वाणी में शहद जैसी मिठास बनी ही रहनी चाहिए । क्या आपने कभी सोचा है कि इस ‘‘सिन्थेटिक सभ्यता’’ की खातिर ही एक दिन में हमें कितने मुखौटे बदलने पड़ते हैं या पूरे 24 घंटे में वैसे कितने क्षण आप निकाल पाती हैं, जब आप अपने प्राकृतिक या स्वाभाविक रूप में रहती हैं । कई बार तो यह नाटक करते-करते जिन्दगी ही एक नाटक बनकर रह जाती है ।

हम लोग रोज जीते हैं, नाटकों और मुखौटों की जिन्दगी

कई घटनायें हम रोज ही सुनते हैं, बल्कि ऐसी ही जिन्दगी हम में से अधिकांश लोग जीते भी हैं, नाटकों और मुखौटों की जिन्दगी, जिसे मूलतः हम पसन्द भी नहीं करते । यों हम अन्दर-ही-अन्दर घुटते भी हैं, सुलगते भी हैं, उलझते भी हैं, लेकिन आश्चर्य ! फिर भी रेशम के कीड़े की तरह अपने चारों ओर रेशम के जाल बुनते ही रहते हैं । क्या हम भी रेशम के कीड़े की तरह इस बात से अनभिज्ञ हैं कि इस जाल में हम खुद ही फंसेंगें? हम सभ्यता के चाहे जितने गिलाफ चढ़ा लें, ऊपर से चाहे जितने आदर्शवादी बन जायें, मगर अन्दर से तो इंसान ही रहेंगें और गुस्सा इंसानियत की निशानी है, हमारा स्वभाव हमारी प्रकृति है ।

      सोचिये, गुस्सा कब और क्यों आता है ? उदाहरण के लिए कुछ घटनायें ले लेते हैं ।

      शाम को पतिदेव के साथ आपको किसी के घर खाने पर जाना है । आप शाम को तैयार होकर घंटों बैठी रहीं और रात को 10 बजे पतिदेव आकर कहते हैं, ‘‘अरे, मैं तो भूल ही गया था ।’’

      आज रात घर पर कुछ लोगों की दावत है । सामान की लिस्ट आपने सुबह ही दे दी थी, मगर पतिदेव शाम को सामान लाना भूल ही गये ।

      शाम को आप थकी-हारी आॅफिस से लौटीं तो घर में ताला पड़ा था ।

      आपको बहुत सारा काम करना है और आपने घर में कह दिया है कि कोई भी आये तो कह देना, ‘‘घर में नहीं हैं ।’’ फिर भी आपके एक गप्पी दोस्त से कोई कह दे कि ऊपर के कमरे में बैठी पढ़ रही हैं ।

      अपनी कोई खास राज की बात अपनी पक्की दोस्त को बताइये और उसने वह राज सबको बता दिया ।

      किसी आॅफिस में आपके दो मिनट के काम के लिए क्लर्क ने आपको दो घंटे बैठाये रखा और फिर भी काम नहीं किया ।

      आपके आॅफिस का कोई पुरुष आपकी विनम्रता का लाभ उठाने की कोशिश करता है । पीठ पीछे नमक-मिर्च लगाकर आपकी बातें सुनाता है ।

      आपको किसी जरूरी मीटिंग में पहुंचना है और टैक्सी वाले की बेवकूफी से आपको वहां पहुंचने में देर हो जाती हे ।

      आपके सुपुत्र का इम्तहान सिर पर है और वह दिन भर क्रिकेट खेलता है और शाम से टी.वी. देखने बैठ जाता है ।

अपनी नाराजगी जाहिर करना बेहद जरूरी

इसी तरह की बहुत सी बातें हैं, जो हमें गलत या बुरी लगती हैं, जिनसे हमें चोट पहुंचती है, मानसिक आघात लगता है, हमारी भावनाओं को ठेस लगती है, हमें दुख होता है और हमें गुस्सा आता है । ऐसी प्रतिकूल और अनचाही स्थितियों के लिए गुस्सा ही सबसे अच्छी सही और स्वाभाविक प्रतिक्रिया है । ऐसे में गुस्सा कर लेने से एक तो हमारे दिल का गुबार निकल जाता है, हमारी भावनाओं को बाहर निकलने का एक रास्ता मिल जाता है और हमें यह भी सुकून हो जाता है कि हमारी चोट का एहसास दूसरों को हो गया है । यह गुस्सा एक सबक हो जाता है और दूसरों की जल्दी हिम्मत नहीं पड़ती कि दुबारा हमारे साथ कोई धोखा, चालाकी या विश्वासघात करें । इसीलिए ऐसी स्थितियों पर अपनी नाराजगी जाहिर करना बेहद जरूरी है ।

गुस्सा कीजिये, ताकि आप बाद में खुश रह सकें

कुछ लोग समझते हैं कि गुस्सा करना इन्सान की सबसे बड़ी कमजोरी है और गुस्सा पी जाना सबसे बड़ी  बहादुरी । उनका ख्याल है कि गुस्से को वश में रखकर ही कोई सम्बन्धों को मधुर बनाये रखा जा सकता है और गुस्सा करने से संबंधों में दरार पैदा हो जायेगी, संबंध टूट जायेंगें, दोस्त मुंह मोड़ लेंगें और हमारी छवि एकदम बिगड़ जायेगी । कुछ लोग कहते हैं कि हमें गुस्सा कभी आया ही नहीं । ऐसे लोग ही हमें बहका देते हैं, गुस्सा उन्हें भी आता है । वे न सिर्फ दूसरों को धोखा दे रहे हैं बल्कि खुद भी धोखे में जी रहे हैं । आप सोचिये जब आप एक दूसरे से अपने दिल की बात कहते ही नहीं, तो आपके संबंध घनिष्ठ और मधुर कैसे हो सकते हैं ? ऐसे संबंध मधुरता का भ्रम तो बनाये रख सकते हैं, लेकिन वास्तव में कभी मधुर नहीं हो सकते । अब जरा यह भी देख लीजिए, कि गुस्से को दबाये रखने से क्या होता है ? मान लीजिए, आप एक आधुनिक महिला हैं, आपके पति की किसी लड़की से दोस्ती है, मगर आप इसे बुरा नहीं समझतीं, एक दिन आपको पता चलता है, कि आपके श्रीमान् उसके साथ पिक्चर गये, जबकि आपके साथ पिक्चर जाने की उन्हें कभी फुरसत ही नहीं मिलती । आपको गुस्सा आता है, मगर आप कुछ नहीं कहतीं, सभ्यता के नाम पर संयत रह जाती हैं, लेकिन आपके अन्तर्मन में तो गुस्से का लावा उबलने ही लगा है । फिर आपको ऐसी ही कोई और बात पता चलती है, लेकिन आप सच को स्वीकारना नहीं चाहतीं । गुस्सा करने से कहीं बात और न बिगड़ जाये, यह  डर रहने लगता है आपको । आपके मन में एक अन्तद्र्वंद्व शुरू हो जाता है । अपने गुस्से पर काबू रखने के लिए आप नये-नये तर्क तलाश लेती हैं । गुस्से से बचने के लिए बहुत-सी बातें सुनते हुए भी अनसुनी कर देती हैं, बहुत-सी घटनायें देखकर भी अनदेखी कर देती हैं और बहुत कुछ समझाने के बावजूद उसे समझना नहीं चाहतीं और उसके लिए मजबूरन आप एक मजबूत-सा कवच अपने चारों ओर बना लेती हैं, ताकि कोई सच्ची और सहज भावना कहीं से फूट न पड़े । आपकी संवेदनशीलता, आपका स्पष्ट दृष्टिकोण, आपका असली स्वभाव, सच्चाई, सरलता, आत्मविश्वास सब कुछ उस कवच के अन्दर रह जाता है । बाहर होती है तो बस एक चैकस सतर्कता, कहीं से असलियत न दिख जाये वह चिंता, बस । ऐसे में आपका व्यवहार कभी सहज हो ही नहीं सकता । इस तरह आत्मसंयम के नाम पर आप अपने ऊपर जुल्म करती हैं । अपने व्यक्तित्व को सिर्फ खोखला तथा कमजोर बनाती हैं । आपकी यह तटस्थता और उदासीनता की नीति अन्ततः संबंधों को तोड़ने में ही सहायक होती है, जोड़ने में नहीं । इसीलिए यदि आपको कोाई बात बुरी लगती है, तो तुरन्त गुस्सा कीजिये, ताकि आप बाद में खुश रह सकें । भले ही लोग आपको गंवार या जाहिल कहें ।

आवेग और उत्तेजना भरे गुस्से से कोई फायदा नहीं

गुस्सा करने का यह मतलब बिल्कुल नहीं है, कि आप गुस्से में घर के बर्तन तोड़ ड़ालें, या खाना उठा कर फेंक दें, जिससे नाराज हों, उससे बोलना ही छोड़ दें, या गुस्से में घर छोड़कर चली जायें या फिर स्वयं  भी कोई ऐसा कुछ करने लगें, जिससे आपको जलाने वाला भी खुद भी गुस्से की आग में जलने लगे । इस तरह के आवेग और उत्तेजना भरे गुस्से से कोई फायदा नहीं है । इससे एक तो आपके मन की बात मन में ही रह जायेगी । दूसरे लोग आपसे दूर भागने लगेंगें और आप कई मानसिक एवं शारीरिक बीमारियों जैसे अल्सर, हाई ब्लड़ प्रेशर और सिर दर्द आदि की शिकार हो जायेंगीं । ऐसे गुस्से को हम निरर्थक गुस्सा कह सकते हैं ।

कहा गया है – ‘क्रोध मूर्खता से आरम्भ होता है और पश्चाताप पर समाप्त होता है ।’ शायद यह उक्ति निरर्थक गुस्से के लिए सही बैठे मगर यदि गुस्सा बुद्धिमानी से शुरू किया जाये और सही ढंग से किया जाये तो निश्चय ही पश्चाताप नहीं, बल्कि एक आत्मसंतोष की निश्चिंतता की ओर एक आंतरिक खुशी की अनुभूति होगी ।

गुस्सा करने का सही ढंग

आइये, अब ‘मूल मंत्र’ की तरफ बढ़ें और देखें कि गुस्सा करने का ‘सही ढंग’ क्या है ?

सबसे मुख्य बात तो यह है कि जब भी कोई अनचाही स्थिति पैदा हो और आपको गुस्सा आ जाये तो उसे जाहिर करने से पहले यह सोच लीजिए कि आपके गुस्सा होने के चार उद्देश्य हैं –

(1)    आपको जो मानसिक आघात लगा है, जो दुख हुआ है, दसरे को उसका पूरा-पूरा एहसास कराना।

(2)    इस दुःखदायी स्थिति को बदलना ।

(3)    ऐसी कष्टप्रद घटनाओं को या बातों को आगे होने से रोकना, जिनसे आपको दुख पहुंचा था ।

(4)    अपने संपर्क और संबंधों को अधिक घनिष्ठ बनाना ।

दूसरी बात यह कि जब आपको किसी पर गुस्सा आये तो उसे व्यक्त करने से पहले स्वयं से ये प्रश्न जरूर करें –

(1)    आप क्यों नाराज हैं ?

(2)    आप क्या चाहती हैं ?

(3)    आप क्या करें कि जिससे आपका दुख भी दूर हो जाये और गुस्सा भी शांत हो जाये ?

यह सब सोच लेने के बाद,

बिना कोई भूमिका बांधे आप अपनी बात शुरू कर दीजिए । जो कुछ भी आपके मन में है और जो कुछ भी आप चाहती हैं, एकदम साफ-साफ कह दीजिए । उदाहरणार्थ आपके पति रोज देर से घर आते हैं  या  शराब  पीकर घर आते हैं और आपको उनकी यह हरकत कतई पसन्द नहीं है तो आप सीधे-सीधे उनसे कहिए कि तुम्हारी यह आदत मुझे पसन्द नहीं है, तुम्हें नशे में देखकर मुझे तुमसे चिढ़ होने लगती है, मुझे तुम नाली के कीड़े जैसे गंदे दिखने लगते हो आदि-आदि । मतलब यह कि आपके मन में जो विचार हैं, उन्हें बिना किसी बनावट के ज्यों-के-त्यों दोहरा दीजिए चाहे भाषा कितनी ही कटु क्यों न हो । जाहिर है पति भी ताबड़तोड़ जवाब देंगें । हो सकता है वह यह भी कह दें । ‘‘तुम हो किस खेत की मूली ? तुम्हारी परवाह ही कौन करता है ?’’ ऐसे में आप जरा भी विचलित न हों और रोएं भी नहीं, अपनी बात पर अड़ी रहें, कह दें ‘‘मैं तुम्हारी पत्नी हूं, मेरी चिंता तुम्हें करनी ही पड़ेगी ।’’ और आप ऐलान कर दीजिए, ‘‘आइंदा चाहे जो भी हो मैं यह सब कतई बर्दाश्त नहीं करूँगीं ।’’ संभव है, इसके बाद आपके पति बड़बड़ाते हुए या पैर पटकते हुए या गालियां देते हुए बाहर निकल जायें । अगर आप अपनी बात पूरी कह चुकी हैं, कोई और शिकायत, कडुवाहट मन में अटकी नहीं रह गयी है, तो उन्हें जाने दीजिए । पीछे मत पड़िये यह न सोचिये कि निर्णय तुरन्त हो जायेगा । उन्हें थोड़ा समय दीजिए, हो सकता है गुस्सा ठंडा होने पर वह स्वयं आपसे माफी मांगें या थोड़े दिन बाद आप स्वयं ही उनके व्यवहार में मनचाहा बदलाव महसूस करें और आपकी नाराजगी दूर हो जाये तथा आपके आपसी संबंध पहले से अधिक घनिष्ठ हो जायें ।

गुस्सा करते समय इन बातों का ध्यान रखिये -

(1)    व्यंग्य और तानों का प्रयोग करने के स्थान पर सादी भाषा में गुस्सा प्रकट करें ।

(2)    सामने वाले को नीचा दिखाने की कोशिश न करें ।

(3)    उसकी बातों पर विश्वास न करें और उसे अपनी सफाई देने का पूरा मौका दें ।

(4)    उसको सजा देने के इरादे से या उसे चिढ़ाने के लिए बेतुकी बातें न करें ।

(5)    अगर आप गुस्सा करती हैं तो दूसरे का गुस्सा सहन करना भी सीखिये । और यदि आप इतने गुस्से में हैं कि आप किसी बात का ध्यान नहीं रख सकतीं तो फौरन गुस्सा न कीजिए, उठकर अपने कमरे में चली जायें, रेडियो या टी.वी. खोलकर बैठ जायें या संगीत सुनने लगें या फिर घर से बाहर कहीं चली जायें और जब गुस्सा थोड़ा शांत हो जाये तो ऊपर लिखे ढंग से अपना गुस्सा व्यक्त करने की कोशिश करें, तभी आपका गुस्सा कारगर होगा ।

एक खास बात और समझ लीजिए

गुस्सा होने के बाद आपको कभी शर्मिन्दा नहीं होना चाहिए, न ही आप अपने गुस्से के लिए माफी मांगें । आपको यह आत्मग्लानि बिल्कुल नहीं होनी चाहिए कि मैंने गलत किया, मैं होश खो बैैठी, मुझे अपने पर काबू नहीं रहा या ऐसा नहीं होना चाहिए था, बल्कि आपको यह विश्वास और संतोष होना चाहिए कि जो कुछ आपने किया वह स्थिति को देखते हुए सर्वथा उचित था और यही होना भी चाहिए था ।

अंत  में  हम  फिर  यही कहेंगें कि गुस्सा बड़े काम की चीज है । आपने सुना भी होगा जहां लड़ाई अधिक होती है, वहीं प्यार भी अधिक होता है । अगर आप चाहती हैं कि आपके आपसी संबंध हमेशा मधुर और घनिष्ठ बने रहें और रिश्तों के ये बंधन सिर्फ नाम के लिए नहीं, बल्कि सचमुच आपके लिए ‘‘आन्तरिक प्रसन्नता’’ का चिर स्त्रोत बने रहें तो गुस्सा करना सीखिये, क्योंकि जीवन को संतुलित रखने के लिए सिर्फ प्यार ही काफी नहीं है, गुस्सा भी बेहद जरूरी है ।

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दिवाली में घर नहीं गए तो क्या

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इन त्योहारों में आपको घर जाने का टिकट नहीं मिला, बॉस ने पर्याप्त छुट्टी नहीं दी तो कोई बात नहीं. आपको ज्यादा दुख मनाने और मलाल करने की आवष्यकता नहीं हैं. आपको खुष होना चाहिए कि इस बहाने आप कुछ ऐसा घूम-फिर सकते हैं जहां इससे पहले आप ऐसी जगहों को इग्नोर करते आ रहे थे. वास्तव में आपका इंतजार कुछ ऐसी जगहें कर रही हैं जहां पर आप पहले तो गए हुए पर आपने ऐसा मंजर कभी नहीं देखा होगा. तो यहां हम ऐसी कुछ जगहें बता रहे हैं आपकी पहुंच में जो भी हो तो इन दो-एक दिन की छुट्टियों में घूमने निकल लें. हां, हाथ में एक अच्छा कैमरा और कम से कम सामान होना चाहिए. घूमने का मजा उठाने के साथ साथ त्योहारों को कुछ अलग तरह से देखने के लिए तैयार रहें.

राम की नगरी अयोध्या

दषहरा और दीपावली का मुख्य कारण भगवान राम से जुड़ा हुआ है. दषहरा के दिन रावण मारा गया था और दीवाली इसलिए मनाई जाती है क्योंकि भगवान राम इस दिन बारह वर्श का बनवास पूरा करके अपनी नगरी अयोध्या लौटे थे इसलिए इस दिन पूरी नगरी में रोषनी की गई थी. यहां पर आपका इंतजार सात हजार मंदिर कर रहे होगें. सरयू नदी के किनारे बसी इस नगरी में अनगिनत राम मंदिर हैं. साधू-संन्यासी, वाल्मीकि भवन, हनुमान गरही, कनक भवन, नागेष्वर नाथ यहां के प्रमुख मंदिर हैं. इन्हें आप जरूरी देखना चाहेगें. यहां की मुख्य खूबी खुरचन पेड़ा और लाल रंग की मिठाई खाएं बगैर नहीं लौटना होगा. अगर दियो के नजारे देखने के लिए मणी पर्वत पर जाकर देखना नहीं भूलना हैं.

स्वर्ण मंदिर की नगरी अमृतसर

गुरु हरगोविंद को ग्वालियर जेल से उनके 52 साथियों के साथ रिहा किया गया था. गुरु उन्हें लेकर स्वर्ण मंदिर आए थे. इस कारण से गुरु को बंदी छोड़ कहा गया है. इस दिन को बंदी छोड़ दिवस मनाया जाता है. इस दिन सवर्ण मंदिर को दीपों से सजाकर खुषियों का इजहार किया जाता है. अमृतसर को अन्य दिनों से कुछ अलग महसूस करना और देखना चाहते हैं तो एक दिन के लिए आकर देखना चाहिए. आखिर सिख समुदाय दीवाली किस तरह मनाते हैं.

गंगा की नगरी वाराणसी

अध्यात्मिक नगरी वाराणसी, जहां मरने पर स्वर्ग प्राप्त होता है. दीवाली जैसे त्योहार पर यहां के भक्तिमय नजारे देखने वाले होते हैं. यहां की भारी-भरकम भीड़, गंगा नदी का किनारा, नाव की सैर और गंगा की आरती यह सब चीजें इस त्योहार में अधिक मनभावन हो जाता है. दीवाली के समय गंगा में दीपों की जगमग श्रृंखला अदभुत होती है. इस दिन गंगा में डुबकी लगाने की भी धार्मिक मान्यता है. इन यहां पर गंगा महोत्सव जैसा सांस्कृति कार्यक्रम भी चल रहा होता है जहां संगीत, कला और हैंडी क्राफ्ट देखन को मिल जाती हैं. यहां का देसी खान-पान जरूर चखना चाहिए. बनारसी पान खाए बिना नहीं आना है. मिठाई दूध, दही जलेबी यहां की षान है.

नेपाल नगरी में दीवाली

अपने पड़ोसी देष नेपाल में दीवाली पांच दिन मनाई जाती है. इसलिए इस छोटे से मनोहारी नेपाल नगरी में घूमने का अच्छा मौका है. यहां दीवाली को तिहार कहते हैं. यहां भी लक्ष्मी और गणेष की पूजा पूरी विधि-विधान से किया जाता है. दिवाली के बहाने नेपाल को देखने समझने का यह अच्छा अवसर है. नेपाल देष की राजधानी काठमांडू को नए सिरे से घूमने का एक अच्छा समय होगा. यहां से लौटते समय आप सूखे मेवा ले आना नहीं भूलना हैं.

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रोशन करें बगिया/garden lighting ideas

रोशन करें बगिया

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एक घर में प्रवेश करने का माध्यम सबसे पहले आपकी बगिया या लॉन होता है. इसलिए इन त्योहारों के मौसम में आप इन्हें उपेक्षित तो नहीं ही करना चाहेगीं. रोशनी का त्योहार दीवाली हो या फिर किसी तरह की पार्टी. अगर आप अपनी बगियां के सौंदर्य में चार चांद लगाना चाहती हैं तो बस इसे महज रोषनी से संवार दें फिर देखें कि त्योहारों की पार्टी का मजा कैसे दुगुना हो जाएगा.

रोशनी में वह जादू होता है जो खुशी के माहोल को रोमांटिक और रोमांचक बना देता है. लाइट की रंग-बिरंगी रोशनी में सभी का मूड खुषनुमा हो जाता है. इसलिए त्योहारों का मजा उठाना चाहती हैं तो अपनी बगिया चाहे वह कितनी ही छोटी-मोटी हो, उसे लाइट का मैजिक जरूर दिलाएं. इसके लिए आपको बहुत ज्यादा कुछ नहीं करना पड़ेगा. यदि आपके पास बहुत सी आउटडोर लाइट्स नहीं हैं तो भी ज्यादा चिंता की बात नहीं हैं. आप इंडोर लाइट्स को ही दुगुना प्रयोग से बाहर यूज कर सकती हैं.

रोशनी की झालर-

आमतौर पर रोषनी के लिए स्ट्रिंग लाइट का प्रयोग किया जाता है. इसे पेड़-पौधों पर आसानी से फिक्स करके लगाई जा सकती हैं. इसे टेबल, डेस्क पर भी समानतौर पर लगाकर रोशनी की जा सकती है.

रंग-बिरंगी रोशनी –

चेंजिंग लाइटिंग देखने में काफी अच्छी लगती हैं. परमानेंट जलने वाली लाइट अगर कलरफुल हो तो वह भी अपना सम्मोहक लुक छोड़ने में कामयाब रहती है. इसके साथ कंदील लटकाए जा सकते हैं जो अपनी मध्यम रोषनी से जादू कियेट करते हैं.

सेंट्रल टेबल की लाइटिंग-

पार्टी या त्योहारों में खाने पीने की बात न हो ऐसा हो ही नहीं सकता है. इसके लिए लालटेन या लैम्प को जला सकते हैं. इस तरह की रोषनी आपकी बुफे टेबल या सेंट्रल टेबल का लुक बदल सकती है.

कार्नर की जगमगाहट-

रोशनी ऐसी होनी चाहिए कि कोई कोना छूटना नहीं चाहिए. वैसे कोनों में खासतौर पर अधिक रोषनी करके रखनी चाहिए. जो दूर से देखने पर काफी सुंदर लगती है. फ्लोर लैम्प का सबसे अच्छा प्रयोग इन्हीं कोनों को जगमगाने में किया जा सकता है.

बैटरी से चलने वाली लाइट-

लाइट की सजावट के लिए बैटरी से चलने वाली लाइट एक अच्छा आप्सन हो सकता है. यदि आप पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचाए बगैर अपनी बगिया को रोषन करना चाहते हैं तो बैटरी-चालित लाइटिंग कर सकती हैं.

कैंडल की रोशनी

– रोशनी की सजावट में आप परमानेंट-टेमपरी लाइट के अलावा दिये और कैंडल से भी रोशनी कर सकती हैं. थोड़ी देर के लिए ही सही इसकी रोशनी आपका मन मोह सकती है.

लाइटिंग करने से पहले ध्यान रखें

-सबसे पहले एक एलेट्रिशियन को बुला कर अपने बगीचे का निरीक्षण करा लें. उससे सलाह लेकर लाइट की सेंटिग बगैरह करवा सकती हैं.

-अपनी बगिया को व्यवस्थित कर लें. प्लांट पॉट को साफ-सुथरा करके, यदि पेंट करने की जरूरत हो तो वह भी कर लें, एक क्रम में सजा लें. ध्यान में रखें कि पौधे इस तरह से व्यवस्थित करें कि उन्हें पानी और धूप आसानी से मिलती रहें.

-फलावर पॉट सजाने का मतलब यह नहीं है कि आप उन्हें ऐसी जगह पर नहीं रखे जहां से उठने-बैठने-चलने और काम करने में दिक्कत आएं.

-छोटे और नाजुक पौधों में लाइट लैम्प और लाइट झालर का अनावष्यक भार न डालें. इससे पौधों को नुकसान पहुंच सकता है.

-लाइटिंग के लिए वह पौधा या पेड़ चुनें जिसका तना मजबूत हो.

-पहले से यह निर्धारित कर लें कि जो पौधे लाइट के लिए अधिक सेंसटिव हों उनमें लाइट न सजाएं.

-लाइटिंग के लिए वह पेड़ न चुने जिस पर पक्षियों ने अपने घोसले या मधुमखियों ने अपने छत्ते बनाएं हों.

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दीप का अर्थ जीवन में खुशियां बांटना /diwali festival

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दीप का अर्थ जीवन में खुशियां बांटना

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दीपों का त्योहार आने वाला है. दीप जलाने का अर्थ होता है सब कुछ रोशन कर देना. रोशन होने का मतलब केवल अंधेरा भगा देना नहीं हो सकता बल्कि एक अर्थ में सभी के जीवन में खुशियां बांटना भी हो सकता है. त्योहारों में हम जितना अधिक रिचुअल्स का पालन करते हुए दिखते हैं उतना क्या हम लोक कल्याण के लिए कुछ करते हैं? हमेशा यह देखा जाता है कि दीपावली में ढेरों पटाखे न फोड़ने की अपील की जाती है. होली में पानी न बरबाद करने की हिदायतें जारी की जाती हैं. बकरीद में कुर्बानी न करने का मैसेज दिया जाता है. कहने का अर्थ है कि त्योहारों के नाम पर लकीर का फकीर न होकर एक प्रगतिशील नागरिक बने रहने और पुरातन परिपाटी जिससे न केवल हमारा नुकसान हो रहा है बल्कि समाज के लोगों पर भी प्रभाव पड़ता है, त्यागने की बातें होती हैं. हम त्योहारों के असली मतलब को समझते हुए उन्हें मनाने के बारे में विचार करना चाहिए जिससे अपने साथ-साथ दूसरों को भी सम्मिलित कर सकें और हमारे आस-पास खुशियां बिखरने लगें.

खुशियां बांटने में हैं असली सुख

हमें यह बचपन से ही सिखाया जाता है कि जो भी हमारे पास है उसे बांटकर खाना चाहिए. तो बड़े होने पर हम यह बात क्यों नहीं याद रख पाते हैं? हमने हमेषा देखा है कि जब भी हम किसी को खुशियां देते हैं तो वह हमें ढेर सारी दुआएं देकर जाता है.  कहने का अर्थ है कि देने में ही असली सुख है. त्योंहारों में हम जो भी खर्च करने की योजना बना रहे हैं तो उसमें कुछ भाग निकालकर दूसरे जरूरतमंद को देना हमें आत्मिक सुख से भर देगा. हमारे आसपास ऐसे अनगिनत लोग होगें जो छोटी-मोटी जरूरतों के मोहताज हों, उन्हें उनकी आवष्यकता के अनुसार देकर त्योहारों का असली मकसद पूरा करें.

प्रकृति के साथ-साथ चलें

कोई भी त्योहार प्रकृति को नुकसान पहुंचाकर नहीं मनाया जा सकता है. आखिर जब हम इसी धरती पर रहते हैं तो इसे अशुद्ध कैसे कर सकते हैं?  इसके पर्यावरण, जीव-जंतुओ और पेड़-पौधों को कैसे नुकसान पहुंचा सकते हैं? दीपों से उजाला करने की जगह हम लाइट की तमाम झालरों या कैंडल जलाकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं. पटाखें तो ध्वनि और वायु पोल्‍युशन के कारण कुख्यात हो चुके हैं. तो क्यों न हम घी और तेल के दिये जलाने के साथ-साथ पटाखे न फोटने का कृतसंकल्प ले लें.

थोड़ा रचनात्मक हो जाएं

घर को सजाने के लिए जरूरी नहीं है कि बाजार से समानों को खरीद-खरीदकर घर भर डालें. सड़क और बाजार में  अपनी कला का प्रदर्षन करने वाली छोटी-छोटी दुकानों से समान खरीदकर उनके त्योहार बनाने में सहायता कर सकते हैं. घर में पड़ी बेकार की चीजों से आप खुद सजावटी चीजें बनाकर री-यूज को बढ़ावा देकर अपने बच्चों को बहुत कुछ सिखा सकती हैं. प्रकृति से थोड़े पत्ते और फूल लेकर भी अपने घर को सुंदर तरीके से सजाया जा सकता है.

सामूहिक रूप से उत्सव मनाएं

हमेषा कहा जाता है कि त्योहारों का मजा अपनों के साथ आता है. इस बात का अर्थ समझते हुए त्योहार हमेषा सामुहिक रूप से मनाने चाहिए. एक कैम्पस या सोसायटी में रहने वाले सभी लोग मिलकर कार्यक्रम को एक जगह इकट्ठे मनाने से हमारे अंदर सामुहिक भावना को जन्म देती है. आजकल हम अपने पड़ोसियों में अपनी दिलचस्पी खोते जा रहे हैं. जबकि हमारा सुख-दुख जानने वाला सबसे निकट हमारा पड़ोसी ही होता है. ऐसे में अपने पड़ोसी और उनके पड़ोसियों के साथ मिलने-जुलने की भावना इन त्योहारों की मार्फत करने में लाभ ही लाभ है.

सोच-समझकर उपहार दें

अपनी खुषियां प्रर्दषित करने के लिए हम एक-दूसरे को उपहार बांटते हैं. उपहार देने के लिए कभी दबाव में नहीं आना चाहिए. उपहारों को कभी अपने स्टेटस का सवाल नहीं बना लेना चाहिए. उपहार आपकी खुषी बढ़ाने का माध्यम हो सकते हैं न कि बुराई करवाने वाला कारक. इसलिए उपहार ऐसे देने चाहिए जिससे सामाने वाला व्यक्ति जुड़ सके. उपहार के नाम पर व्यर्थ की चीजें बांटने से बचना चाहिए. त्योहारों के समय मिठाई बगैरह काफी खराब आती हैं उन्हें देने से बचना चाहिए.

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आलू पेटिस/Allo Paties recipes

आलू पेटिस

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सामग्री-

8-10 उबले हुए आलू

अरारोट- 1 चम्मच

मुरमुरे पिसे हुए- 1 चम्मच

नमक- स्वादानुसार

भरने के लिए- हरी मिर्च 1 बारीक कटी हुई

काली मिर्च, गरम मसाला, नमक स्वादानुसार

काजू- 8-10 कटे हुए

किषमिष- 10 ग्राम

सूखा नारियल कसा हुआ 1/2 कप

हरी चटनी

इमली की चटनी (लहसुन भी डाल सकते हैं)

विधि-

आलू को उबालकर अच्छे से मेष कर लें. उसमें अरारोट, मुरमुरा का पाउडर और नमक अच्छे से मिला लें. अब भरने की सामग्री को एक बाउल में लें और अच्छे से मिला लें. अब आलू की पेड़ी लें और चपटा करें और एक चम्मच भरने की सामग्री रखें उसके ऊपर और अच्छे से गोल बना लें.अब इसे तेज आंच पर तले ब्राउन होने तक.

अब इस तैयार पेटिस को गर्म-गर्म हरी चटनी और इमली की चटनी के साथ परोसें.

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ब्रेड कटोरी चाट/Bread Katori Chaat Recipe

ब्रेड कटोरी चाट

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सामग्री-

ब्रेड स्लाइसेस- 6-7

काबुली चना- 1/4 कप उबला हुआ

आलू- 1/2 कप (उबला हुआ और कटा हुआ)

प्याज- 2

टमाटर- 1

दही- 1/4 कप

लाल मिर्च पाउडर- 1 टीस्पून

चाट मसाला- 1 टीस्पून

धनिया पत्ता- बारीक कटा हुआ

सेव- 2 चम्मच

इमली की चटनी- 2 चम्मच

नमक- स्वादानुसार

तेल- आवष्यकता अनुसार

विधि-

प्याज और टमाटर को बारक काट लीजिए. अब ब्रेड स्लाइसेस के चारों किनारों को काट लीजिए और बेलन की मदद से उसे बेल कर पतला कर दें.

अब कूकीज बेकिंग ट्रे में तेल लगाकर ब्रेड स्लाइसेस को एक-एक करके उसमें कटोरी जैसा सेट कीजिए. उसके बाद 190 डिग्री सेल्सियस से प्री हीट किए हुए ओवन में रख कर 15 मिनट तक बेक कीजिए.

अब एक बाउल में कटा हुआ आलू, टमाटर, प्याज, उबला हुआ चना, लाल मिर्च पाउडर, नमक, चाट मसाला डालकर अच्छी तरह मिला लीजिए.

अब 15 मिनट बाद ब्रड कटोरी क्रिस्पी और ब्राउन होने के बाद ओवन से निकाल कर ठंडा होने दीजिए. उसके बाद ब्रेड एक प्लेट में रख कर कटोरी में थोड़ा-थोड़ा आलू मिश्रण डाल कर उसके ऊपर दही, इमली की चटनी, धनिया पत्ता, सेव से सजाएं.

गरमा-गरम ब्रेड कटोरी चाट तैयार है.

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